' गुणों और कर्तव्य निष्ठा में कितनी शक्ति होती है और उसके आधार पर मनुष्य कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है अहिल्याबाई इसकी एक जीती - जागती उदाहरण हैं । '
इतिहास प्रसिद्ध इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई एक निर्धन किसान की बेटी थीं , किन्तु अपने गुणों के आधार पर उन्होंने इतनी बड़ी पदवी और प्रतिष्ठा पाई । युवरानी , राज - वधू और स्वयं महारानी हो जाने पर भी अहिल्याबाईउसी प्रकार का सामान्य भोजन करतीं और साधारण कपड़े पहनतीं रहीं जिस प्रकार का भोजन , वस्त्र अपने प्रारम्भिक जीवन में उपयोग किया करती थीं । राज - वैभव , राज - सुख और राजमद उन्हें प्रभावित न कर सका , वे ऐसे रहीं जैसे जल में कमल ।
उनकी दानशीलता प्रसिद्ध है ---- अनेक तीर्थ क्षेत्रों में उनकी बनवायीं धर्मशालाएं , सदाव्रत , घाट आदि उनकी पुण्य ध्वजा फहरा रहे हैं । उन्हें जो कुछ धन , मान मिला उसका उपयोग उन्होंने सदैव दूसरों के हितार्थ किया । दीन - दुःखी , विधवाएं , अनाथ , असहाय व्यक्ति उनकी करुणा के मुख्य आधार थे । महारानी अहिल्याबाई ने राज्य भर में फूलों और फलों के इतने बाग-वाटिकाएं लगवायीं कि उनकी सम्पति और सुन्दरता से गाँव - गाँव संपन्न हो उठे । पशुओं के लिए चारागाह बनवाये , गाँव में हजारों कुएं बनवाये । उन्होंने धन तथा सत्ता के सदुपयोग का ऐसा महान आदर्श उपस्थित किया जिसकी गुणगाथा हमेशा गाई जाएगी ।
इतिहास प्रसिद्ध इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई एक निर्धन किसान की बेटी थीं , किन्तु अपने गुणों के आधार पर उन्होंने इतनी बड़ी पदवी और प्रतिष्ठा पाई । युवरानी , राज - वधू और स्वयं महारानी हो जाने पर भी अहिल्याबाईउसी प्रकार का सामान्य भोजन करतीं और साधारण कपड़े पहनतीं रहीं जिस प्रकार का भोजन , वस्त्र अपने प्रारम्भिक जीवन में उपयोग किया करती थीं । राज - वैभव , राज - सुख और राजमद उन्हें प्रभावित न कर सका , वे ऐसे रहीं जैसे जल में कमल ।
उनकी दानशीलता प्रसिद्ध है ---- अनेक तीर्थ क्षेत्रों में उनकी बनवायीं धर्मशालाएं , सदाव्रत , घाट आदि उनकी पुण्य ध्वजा फहरा रहे हैं । उन्हें जो कुछ धन , मान मिला उसका उपयोग उन्होंने सदैव दूसरों के हितार्थ किया । दीन - दुःखी , विधवाएं , अनाथ , असहाय व्यक्ति उनकी करुणा के मुख्य आधार थे । महारानी अहिल्याबाई ने राज्य भर में फूलों और फलों के इतने बाग-वाटिकाएं लगवायीं कि उनकी सम्पति और सुन्दरता से गाँव - गाँव संपन्न हो उठे । पशुओं के लिए चारागाह बनवाये , गाँव में हजारों कुएं बनवाये । उन्होंने धन तथा सत्ता के सदुपयोग का ऐसा महान आदर्श उपस्थित किया जिसकी गुणगाथा हमेशा गाई जाएगी ।
No comments:
Post a Comment