' ईमानदार व्यक्ति यदि विरोधी भी हो तो भी उससे किसी अवांछनीय अनिष्ट की आशंका नहीं करनी चाहिए । '
राष्ट्रपति का पद सम्हालते ही लिंकन के सामने अनेक समस्याएं उपस्थित हो गईं । उन दिनों अमेरिका में गृहयुद्ध शुरू हो गया था । एक बार की घटना है ---- गृहयुद्ध में विरोधी पक्ष के कितने ही लोग बंदी बनाये जा चुके थे । सत्ता लिंकन के हाथ में थी ।
विरोधी पक्ष की एक युवती अपने बन्दी भाई से मिलने का प्रयत्न कर रही थी पर अधिकारी उसे इसके लिए इजाजत नहीं दे रहे थे आखिर वह प्रेसिडेंट के पास ही जा पहुंची और अपना अभिप्राय बताया l लिंकन ने उससे पूछा --- ' मेरा विश्वास है तुम देश भक्त हो l '
युवती ने निर्भयता पूर्वक उत्तर दिया ---- मैं अपने देश वर्जीनिया के प्रति देश भक्त हूँ ।'
वर्जीनिया विरोधी पक्ष का था । विरोधियों को ऐसी सुविधा क्यों दी जाये जिससे पीछे कोई संकट उत्पन्न होने की आशंका उत्पन्न हो -- यह एक प्रश्न था ।
लिंकन कुछ देर सोचते रहे और उन्होंने एक पर्चा लिखकर युवती के हाथ में थमा दिया और जेल में भाई से मिलने की स्वीकृति लिख दी l
अफसरों ने प्रेसिडेंट से इस उदारता का कारण पूछा तो उन्होंने यही कहा ---- ' ईमानदार व्यक्ति यदि विरोधी भी हो तो भी उससे किसी अवांछनीय अनिष्ट की आशंका नहीं करनी चाहिए । । '
राष्ट्रपति का पद सम्हालते ही लिंकन के सामने अनेक समस्याएं उपस्थित हो गईं । उन दिनों अमेरिका में गृहयुद्ध शुरू हो गया था । एक बार की घटना है ---- गृहयुद्ध में विरोधी पक्ष के कितने ही लोग बंदी बनाये जा चुके थे । सत्ता लिंकन के हाथ में थी ।
विरोधी पक्ष की एक युवती अपने बन्दी भाई से मिलने का प्रयत्न कर रही थी पर अधिकारी उसे इसके लिए इजाजत नहीं दे रहे थे आखिर वह प्रेसिडेंट के पास ही जा पहुंची और अपना अभिप्राय बताया l लिंकन ने उससे पूछा --- ' मेरा विश्वास है तुम देश भक्त हो l '
युवती ने निर्भयता पूर्वक उत्तर दिया ---- मैं अपने देश वर्जीनिया के प्रति देश भक्त हूँ ।'
वर्जीनिया विरोधी पक्ष का था । विरोधियों को ऐसी सुविधा क्यों दी जाये जिससे पीछे कोई संकट उत्पन्न होने की आशंका उत्पन्न हो -- यह एक प्रश्न था ।
लिंकन कुछ देर सोचते रहे और उन्होंने एक पर्चा लिखकर युवती के हाथ में थमा दिया और जेल में भाई से मिलने की स्वीकृति लिख दी l
अफसरों ने प्रेसिडेंट से इस उदारता का कारण पूछा तो उन्होंने यही कहा ---- ' ईमानदार व्यक्ति यदि विरोधी भी हो तो भी उससे किसी अवांछनीय अनिष्ट की आशंका नहीं करनी चाहिए । । '
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