' यदा - कदा मनुष्य का मोह और मानसिक दुर्बलताएं प्रवंचना के जाल में फंसाकर उसको गलत दिशा की और प्रेरित कर देती हैं लेकिन जो अपने व्यक्तिगत जीवन में सच्चा होता है और जिसका संग उत्तम होता है उसके डगमगाते कदम को रोकने वाले संयोग आ ही जाते हैं |
मनो संकट के समय मनुष्य को सावधानी पूर्वक विवेक का अवलम्ब लेकर और अपने को तटस्थ बनाकर परिणाम की महत्ता के प्रकाश में किसी निर्णय का निर्धारण करना चाहिए |
मनो संकट के समय मनुष्य को सावधानी पूर्वक विवेक का अवलम्ब लेकर और अपने को तटस्थ बनाकर परिणाम की महत्ता के प्रकाश में किसी निर्णय का निर्धारण करना चाहिए |
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