संसार में किसी महान कार्य में सफलता प्राप्त करना सहज नहीं होता । जब तक मनुष्य उसे सिद्ध करने के लिए उसमे अपना सर्वस्व अर्पण करने के लिए तैयार नहीं होता तब तक सिद्धि की आशा निरर्थक है } जो लोग पहले किसी काम को करते हुए भय , आशंका , आदि की ही चिंता किया करते हैं , और थोड़ी कठिनाई आते ही उस मार्ग को त्याग देते हैं , उनसे किसी महत्वपूर्ण कार्य के संपन्न होने की आशा व्यर्थ ही है l
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