जीवन शैली अर्थात जीवन जीने का ढंग l जीवन शैली के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि मनुष्य अपने लक्ष्य का निर्धारण कर ले और ऐसा करते ही जीवन का शेष पथ स्वत: ही आसान हो जाता है l लक्ष्य निर्धारण होने के बाद यदि उस पथ पर धैर्य , साहस , संकल्प , निष्ठा एवं समपर्ण के साथ आगे बढ़ा जाये तो जीवन लक्ष्य को प्राप्त करते देर नहीं लगती l
जीवनशैली में समय - प्रबंधन का बहुत महत्व है l समय के एक - एक पल का सकारात्मक उपयोग कर के व्यक्ति अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर सकता है -------------
बिहार मिथिला क्षेत्र के दरभंगा रियासत के नरेश महाराज रमेश्वर प्रसाद सिंह उच्च शिक्षित एवं महान विद्वान् थे उन ;को अंग्रेजी , फ्रेंच , बंग्ला, हिंदी व संस्कृत पर पूर्ण अधिकार था l वे तंत्र शास्त्र के उच्च कोटि के विद्वान होने के साथ - साथ वेदांत , सांख्य, योग एवं व्याकरण आदि का भी सूक्ष्म एवं गहरा ज्ञान रखते थे l अपने सम्पूर्ण जीवन को महा अनुष्ठान में परिवर्तित करने वाले महाराज रमेश्वर प्रसाद सिंह की जीवनशैली आध्यात्मिक थी l ------- वे नित्य प्रति दो बजे उठ जाया करते थे l और शय्या पर ही दुर्गासप्तशती का एक सम्पूर्ण पाठ कर लेते थे l इसके बाद साढ़े तीन बजे स्नान आदि से निवृत होकर वैदिक संध्या व सहस्त्र गायत्री जप कर एक मन चावल का नित्य पिंडदान करते थे l इसके बाद पार्थिव शिवलिंग का ब्रह्म मुहूर्त में ही पूजन संपन्न कर भगवती के मंदिर में जाते थे l वहां पर वे तांत्रिक संध्या करने के बाद तांत्रिक विधान के अनुसार पात्र स्थापन करते थे , इसके बाद वह महाकाली का पूजन - तर्पण ------ कर के दस बजे तक तैयार हो जाते थे l एक घंटे के विश्राम के बाद ग्यारह बजे से साढ़े तीन बजे तक राज -कार्य देखते थे l इसके पश्चात् स्नान आदि कर के वैदिक संध्या व गायत्री जप करते थे , फिर प्रदोष काल में पार्थिव शिव पूजन व निशाकाल में भगवती पूजन संपन्न करते थे l यह सब उपलब्धि उनकी विशिष्ट जीवनशैली के कारण थी , जिसने उनके लिए अध्यात्म पथ के दिव्य जीवन के द्वार खोल दिए थे l
जीवनशैली में समय - प्रबंधन का बहुत महत्व है l समय के एक - एक पल का सकारात्मक उपयोग कर के व्यक्ति अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर सकता है -------------
बिहार मिथिला क्षेत्र के दरभंगा रियासत के नरेश महाराज रमेश्वर प्रसाद सिंह उच्च शिक्षित एवं महान विद्वान् थे उन ;को अंग्रेजी , फ्रेंच , बंग्ला, हिंदी व संस्कृत पर पूर्ण अधिकार था l वे तंत्र शास्त्र के उच्च कोटि के विद्वान होने के साथ - साथ वेदांत , सांख्य, योग एवं व्याकरण आदि का भी सूक्ष्म एवं गहरा ज्ञान रखते थे l अपने सम्पूर्ण जीवन को महा अनुष्ठान में परिवर्तित करने वाले महाराज रमेश्वर प्रसाद सिंह की जीवनशैली आध्यात्मिक थी l ------- वे नित्य प्रति दो बजे उठ जाया करते थे l और शय्या पर ही दुर्गासप्तशती का एक सम्पूर्ण पाठ कर लेते थे l इसके बाद साढ़े तीन बजे स्नान आदि से निवृत होकर वैदिक संध्या व सहस्त्र गायत्री जप कर एक मन चावल का नित्य पिंडदान करते थे l इसके बाद पार्थिव शिवलिंग का ब्रह्म मुहूर्त में ही पूजन संपन्न कर भगवती के मंदिर में जाते थे l वहां पर वे तांत्रिक संध्या करने के बाद तांत्रिक विधान के अनुसार पात्र स्थापन करते थे , इसके बाद वह महाकाली का पूजन - तर्पण ------ कर के दस बजे तक तैयार हो जाते थे l एक घंटे के विश्राम के बाद ग्यारह बजे से साढ़े तीन बजे तक राज -कार्य देखते थे l इसके पश्चात् स्नान आदि कर के वैदिक संध्या व गायत्री जप करते थे , फिर प्रदोष काल में पार्थिव शिव पूजन व निशाकाल में भगवती पूजन संपन्न करते थे l यह सब उपलब्धि उनकी विशिष्ट जीवनशैली के कारण थी , जिसने उनके लिए अध्यात्म पथ के दिव्य जीवन के द्वार खोल दिए थे l
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