आज हर कोई धनवान बनना चाहता है l जिसके पास जितना है वह और भी अधिक चाहता है और इसके लिए दिन - रात दुःखी व परेशान रहता है l
इस संबंध में एक प्राचीन कथा है ------- एक साधारण व्यापारी था , जो अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक रहता था किन्तु वह बहुत अमीर बनना चाहता था , इस कारण अक्सर चिंता और तनाव में रहता था l इसी चिंता में वह एक बगीचे में पेड़ के नीचे लेट गया , उसे नींद आ गई l नींद में उसे लगा कि कोई उससे कह रहा है ----- "जा घर लौट जा l तेरे घर पर अशरफियों से भरे सात घड़े तेरा इन्तजार कर रहे हैं l " उसकी आँख खुल गई और वह जल्दी - जल्दी अपने घर की ओर चल दिया l जब उसने घर में प्रवेश किया तो देखकर दंग रह गया कि सच में उसके घर सात घड़े रखे थे l उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा l पत्नी को बुलाकर सब घड़े खोल - खोलकर देखने लगा l छह घड़े सोने की अशरफियों से भरे थे और सातवाँ घड़ा आधा खाली था l
अब उसके पास इतना धन था कि सारा जीवन सुखपूर्वक बिता सकता था लेकिन पति - पत्नी यह सोचकर दुखी थे कि इस सातवें घड़े को कैसे भरा जाये ? इस चिंता में उन्होंने हर तरीके से धन कमाना शुरू कर दिया l जो कमाते उससे सोना खरीद कर उस घड़े में डालते जाते l ऐसा करते हुए कई वर्ष बीत गए , किन्तु वह घड़ा तो भरा ही नहीं l दोनों इसी दुःख से परेशान कि घड़ा कैसे भरें l एक दिन एक साधु उनके घर आया और उन पति - पत्नी को चिंतित देखकर बोला --- " वह सातवाँ घड़ा भरा या नहीं ? " वे दोनों आश्चर्य चकित , कि साधु कैसे सब जानता है l साधु बोला ---- बेटा ! यह सातवाँ घड़ा तृष्णा का है , जो कभी पूरी नहीं होती l अधिक तृष्णा मन को व्याकुल कर देती है और मनुष्य उसी तृष्णा को साथ लिए दुनिया से विदा हो जाता है l l ' ऐसा कहकर वह साधु चला गया और वह सातों घड़े भी साधु जाते ही गायब हो गए l उन दोनों पति - पत्नी को बहुत दुःख हुआ कि जो था उसका सदुपयोग कर लेते , अब तो पूरा जीवन ही व्यर्थ हो गया l
' धन व्यक्ति का उद्धार नहीं कर पाता, मनुष्य द्वारा किये गए शुभ कर्म ही उसकी सहायता करते हैं l '
इस संबंध में एक प्राचीन कथा है ------- एक साधारण व्यापारी था , जो अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक रहता था किन्तु वह बहुत अमीर बनना चाहता था , इस कारण अक्सर चिंता और तनाव में रहता था l इसी चिंता में वह एक बगीचे में पेड़ के नीचे लेट गया , उसे नींद आ गई l नींद में उसे लगा कि कोई उससे कह रहा है ----- "जा घर लौट जा l तेरे घर पर अशरफियों से भरे सात घड़े तेरा इन्तजार कर रहे हैं l " उसकी आँख खुल गई और वह जल्दी - जल्दी अपने घर की ओर चल दिया l जब उसने घर में प्रवेश किया तो देखकर दंग रह गया कि सच में उसके घर सात घड़े रखे थे l उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा l पत्नी को बुलाकर सब घड़े खोल - खोलकर देखने लगा l छह घड़े सोने की अशरफियों से भरे थे और सातवाँ घड़ा आधा खाली था l
अब उसके पास इतना धन था कि सारा जीवन सुखपूर्वक बिता सकता था लेकिन पति - पत्नी यह सोचकर दुखी थे कि इस सातवें घड़े को कैसे भरा जाये ? इस चिंता में उन्होंने हर तरीके से धन कमाना शुरू कर दिया l जो कमाते उससे सोना खरीद कर उस घड़े में डालते जाते l ऐसा करते हुए कई वर्ष बीत गए , किन्तु वह घड़ा तो भरा ही नहीं l दोनों इसी दुःख से परेशान कि घड़ा कैसे भरें l एक दिन एक साधु उनके घर आया और उन पति - पत्नी को चिंतित देखकर बोला --- " वह सातवाँ घड़ा भरा या नहीं ? " वे दोनों आश्चर्य चकित , कि साधु कैसे सब जानता है l साधु बोला ---- बेटा ! यह सातवाँ घड़ा तृष्णा का है , जो कभी पूरी नहीं होती l अधिक तृष्णा मन को व्याकुल कर देती है और मनुष्य उसी तृष्णा को साथ लिए दुनिया से विदा हो जाता है l l ' ऐसा कहकर वह साधु चला गया और वह सातों घड़े भी साधु जाते ही गायब हो गए l उन दोनों पति - पत्नी को बहुत दुःख हुआ कि जो था उसका सदुपयोग कर लेते , अब तो पूरा जीवन ही व्यर्थ हो गया l
' धन व्यक्ति का उद्धार नहीं कर पाता, मनुष्य द्वारा किये गए शुभ कर्म ही उसकी सहायता करते हैं l '
No comments:
Post a Comment