गुरु नानक ने लोगों को समझाया कि बाह्य पूजा , कर्मकांड , परम्पराएँ धर्म नहीं है , धर्म का वास्तविक तत्व है ---- अपने आपको जीतना , इन्द्रियों को वश में रखना , सुख - दुःख , हानि - लाभ में एक सा भाव रखना l धर्म का सबसे बड़ा लक्षण है --- सबके साथ सेवा , नेकी और सच्चाई का व्यवहार करना और इन सबके साथ भगवन को याद करते रहना l
उस समय हिन्दुओं में अनगिनत देवी - देवताओं की पूजा और छुआछूत का जंजाल बढ़ गया था , उसका खंडन उन्होंने वाणी और कर्म रूप में किया l उन्होंने जातिगत भेदभाव और ऊँच - नीच का खंडन किया l
उस समय हिन्दुओं में अनगिनत देवी - देवताओं की पूजा और छुआछूत का जंजाल बढ़ गया था , उसका खंडन उन्होंने वाणी और कर्म रूप में किया l उन्होंने जातिगत भेदभाव और ऊँच - नीच का खंडन किया l
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