वर्तमान समय में श्रेष्ठ व्यक्तित्व संपन्न मनीषियों और विचारकों के अभाव के कारण समाज रुग्ण और जर्जर हो चुका है l यदि वातावरण मूल्यहीनता रूपी प्रदूषण से ओत-प्रोत हो तो समाज में अनैतिक और स्वार्थी व्यक्तियों की भरमार होती है l आज स्वार्थ सर्वोपरि हो गया है और मूल्य , नीति, आदर्श व परम्पराएँ बीते दिनों की बातें बन गई हैं l ऐसे श्रीहीन समाज में अनीति , आतंक और अत्याचार पनपते हैं l समाज में शूरवीरों की संख्या घटने लगती है और लोगों में कायरता बढ़ने लगती है l इस जर्जर समाज को पुनर्जीवित करने के लिए समर्थ मार्गदर्शकों की आवश्यकता है l
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