जब भी धरती पर अत्याचार व अन्याय बढ़ता है तो उससे कोई वर्ग - विशेष ही प्रताड़ित नहीं होता अपितु उससे सम्पूर्ण समाज की मानसिकता प्रदूषित हो जाती है , वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है , प्रकृति नाराज होती है , बाढ़ , तूफान , भूकंप , कहीं सूखा, दंगे - फसाद , मार - काट और पशुओं से भी बदतर राक्षसी प्रवृति समाज को आतंकित करती है l सबसे बुद्धिमान प्राणी --- मनुष्य बेबस हो कर सब देखता और चुप रहता है l
रावण महापंडित था , वेद - शास्त्र का ज्ञाता था , लेकिन वह अत्याचारी था और उसके संरक्षण में राक्षसों ने बहुत अत्याचार किये , इस कारण सम्पूर्ण वातावरण प्रदूषित हो गया था , इस वजह से उन दिनों पूरी लंका में --- " एक लाख पूत और सवा लाख नाती " सब - के - सब राक्षसी प्रवृति के थे इसी तरह द्वापरयुग में कंस और दुर्योधन ने इतना अत्याचार किया कि पूरा वातावरण नकारात्मक हो गया l उस ज़माने में जो सामंत और राजा हुए वे भी अत्याचारी और बुरे थे l सब अत्याचारी - अन्यायी एक साथ इकट्ठे हो गए और दूसरी तरफ केवल पांच पांडव ! महाभारत हो गया l
इसलिए भगवान कृष्ण ने गीता में अर्जुन को जाग्रत किया कि तुम आलसी मत बनो , पलायन नहीं करो , अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध धर्म- युद्ध करो l
रावण महापंडित था , वेद - शास्त्र का ज्ञाता था , लेकिन वह अत्याचारी था और उसके संरक्षण में राक्षसों ने बहुत अत्याचार किये , इस कारण सम्पूर्ण वातावरण प्रदूषित हो गया था , इस वजह से उन दिनों पूरी लंका में --- " एक लाख पूत और सवा लाख नाती " सब - के - सब राक्षसी प्रवृति के थे इसी तरह द्वापरयुग में कंस और दुर्योधन ने इतना अत्याचार किया कि पूरा वातावरण नकारात्मक हो गया l उस ज़माने में जो सामंत और राजा हुए वे भी अत्याचारी और बुरे थे l सब अत्याचारी - अन्यायी एक साथ इकट्ठे हो गए और दूसरी तरफ केवल पांच पांडव ! महाभारत हो गया l
इसलिए भगवान कृष्ण ने गीता में अर्जुन को जाग्रत किया कि तुम आलसी मत बनो , पलायन नहीं करो , अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध धर्म- युद्ध करो l
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