आज मनुष्य का जीवन धर्म के मार्ग से भटक गया है , वह गलत कामों को भी धर्मसंगत समझता है l आज मनुष्य ने अपने कर्मों से प्रकृति को क्षुब्ध कर रखा है l पर्यावरण को प्रदूषित कर रखा है l जीवन असंतुलित हो गया है और इसका परिणाम है कि नित नई बीमारियाँ पैदा हो रहीं महीन , प्रकृति चक्र गड़बड़ा गया है l भगवद्गीता का सन्देश है कि हम अपने कर्मक्षेत्र को ही धर्मक्षेत्र बनाये l समर्पित भाव से कर्म करें l
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