अहंकारी को कभी शान्ति नहीं मिलती l अहंकार को पोषण देने वाला इसे प्रिय होता है l जो व्यक्ति अहंकार के साथ जीता है , वह हमेशा चिंतित रहता है l उसे हमेशा परेशानी बनी रहती है कि कौन प्रशंसा कर रहा है ? कौन अपमान कर रहा है ? कौन सम्मान कर रहा है ? उसका व्यक्तित्व दूसरों पर निर्भर है l अहंकार हमेशा औरों पर निर्भर होता है l
अहंकार को समाज छीन सकता है l संसार जिसको आज महामानव बता रहा है , कल उसी को पापात्मा , दुरात्मा कह सकता है l संसार में ऐसे अनेकों महामानव हैं , जिन्हें कल पूजा जा रहा था , आज वे जेल में बंद हैं l लोग उन्हें गाली देते हैं , उनके ऊपर जूते फेंकते हैं l वही समाज है , वही लोग हैं l जरुरी नहीं कि समाज पहले सही था या अब सही है l बात सिर्फ इतनी है कि समाज दोनों काम कर सकता है l इसलिए अहंकारी को चैन नहीं है l
लेकिन जो ईश्वर पर विश्वास रखते हैं , भगवान के शरणागत हैं , उन्हें इस बात की चिंता नहीं रहती कि लोग क्या कहते हैं , कहते रहें l वह तो निष्काम भाव से अपना कर्तव्य करते हुए ईश्वर की शरण में श्रद्धाभाव से रहता है l
अहंकार को समाज छीन सकता है l संसार जिसको आज महामानव बता रहा है , कल उसी को पापात्मा , दुरात्मा कह सकता है l संसार में ऐसे अनेकों महामानव हैं , जिन्हें कल पूजा जा रहा था , आज वे जेल में बंद हैं l लोग उन्हें गाली देते हैं , उनके ऊपर जूते फेंकते हैं l वही समाज है , वही लोग हैं l जरुरी नहीं कि समाज पहले सही था या अब सही है l बात सिर्फ इतनी है कि समाज दोनों काम कर सकता है l इसलिए अहंकारी को चैन नहीं है l
लेकिन जो ईश्वर पर विश्वास रखते हैं , भगवान के शरणागत हैं , उन्हें इस बात की चिंता नहीं रहती कि लोग क्या कहते हैं , कहते रहें l वह तो निष्काम भाव से अपना कर्तव्य करते हुए ईश्वर की शरण में श्रद्धाभाव से रहता है l
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