6 February 2018

WISDOM --------- अहंकार से विवेक का नाश होता है

  अहंकारी  को  कभी  शान्ति  नहीं   मिलती  l  अहंकार  को  पोषण देने  वाला  इसे  प्रिय  होता  है  l  जो  व्यक्ति  अहंकार  के  साथ  जीता  है  , वह  हमेशा  चिंतित  रहता  है   l  उसे  हमेशा  परेशानी  बनी  रहती  है  कि  कौन  प्रशंसा  कर  रहा  है  ?  कौन  अपमान  कर  रहा  है ?  कौन  सम्मान  कर  रहा  है  ?   उसका  व्यक्तित्व  दूसरों  पर  निर्भर  है  l  अहंकार  हमेशा  औरों  पर  निर्भर  होता  है  l
  अहंकार  को  समाज  छीन  सकता  है  l  संसार  जिसको  आज  महामानव  बता  रहा  है  ,  कल  उसी  को  पापात्मा ,  दुरात्मा  कह  सकता  है  l  संसार  में  ऐसे  अनेकों  महामानव  हैं  ,  जिन्हें  कल  पूजा  जा  रहा  था ,  आज  वे  जेल  में  बंद  हैं  l  लोग  उन्हें  गाली  देते  हैं  ,  उनके  ऊपर  जूते  फेंकते  हैं  l  वही  समाज  है ,  वही  लोग  हैं   l  जरुरी  नहीं  कि   समाज  पहले  सही  था  या  अब  सही  है  l  बात  सिर्फ  इतनी  है  कि  समाज  दोनों  काम  कर  सकता  है   l  इसलिए  अहंकारी  को  चैन  नहीं  है  l 
   लेकिन  जो  ईश्वर  पर  विश्वास  रखते   हैं ,   भगवान  के  शरणागत  हैं  ,  उन्हें   इस  बात  की  चिंता  नहीं  रहती   कि  लोग  क्या  कहते  हैं  ,  कहते  रहें   l  वह  तो  निष्काम  भाव  से   अपना  कर्तव्य  करते  हुए  ईश्वर  की  शरण  में  श्रद्धाभाव  से  रहता  है   l   

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