' संख्या और साधन नहीं , मनोबल और साहस किसी की विजय का कारण बनते हैं --- रणभूमि में भी और जीवन संग्राम में भी l संसार की बड़ी से बड़ी शक्तिशाली जातियों के पतन का एकमात्र कारण यही रहा है कि वे लोग प्राप्त सफलताओं के मद में चूर होकर सुख - सुविधाओं और भोग - विलास के संसाधनों में इस कदर लिप्त हो जाते हैं कि उनकी आत्मिक शक्ति और मनोबल कमजोर हो जाता है l '
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