जीवन में अपमान , हानि, रोग , मृत्यु आदि का भय मनुष्य को सुखी नहीं होने देता l हमारा सम्पूर्ण जीवन इन्ही कुकल्पनाओं के भय में बीत जाता है l अत: निराशा के स्थान पर उत्साह को जगाना चाहिए l यदि जीवन में निराशा के बादल छाये हैं तो अपने जीवन की उपलब्धियों के बारे में सोचना चाहिए l अपने जीवन में यदा - कदा आने वाले अंधियारों को दूर करने के लिए अपनी प्रशंसा स्वयं से करनी चाहिए , अपने जीवन में जो कुछ अच्छा है , सकारात्मक है , उसका मूल्यांकन करना चाहिए l हम क्या थे , और अपनी लगन और परिश्रम से क्या हासिल कर पाए l ऐसी सकारात्मक बातों को सोच कर सुनहरे कल के लिए आशान्वित होना चाहिए l
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