हकीम लुकमान कहते हैं --- कि मनुष्य समय से पहले मरने और गढ़ने के लिए अपनी कब्र अपनी जीभ से स्वयं ही खोदता है l इसका तात्पर्य यह है कि चटोरेपन के वशीभूत जिह्वा अनुपयोगी पदार्थों को अनावश्यक मात्रा में उदरस्थ करती है और जीवन - मरण का संकट उत्पन्न करती है l
यदि असंयम पर ----- वासना और लिप्सा पर नियंत्रण स्थापित किया जा सके और सुसंयत जीवनक्रम अपनाकर उस पर आरूढ़ रहा जा सके तो रुग्णता की जड़ें अपने आप सूखती चली जाएँगी और बिना चिकित्सा और उपचार के भी निरोग बना जा सकेगा l
यदि असंयम पर ----- वासना और लिप्सा पर नियंत्रण स्थापित किया जा सके और सुसंयत जीवनक्रम अपनाकर उस पर आरूढ़ रहा जा सके तो रुग्णता की जड़ें अपने आप सूखती चली जाएँगी और बिना चिकित्सा और उपचार के भी निरोग बना जा सकेगा l
No comments:
Post a Comment