आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थ ' चरक संहिता ' में एक प्रसंग में छात्र अग्निवेश अपने गुरु आचार्य चरक से पूछता है ----- " भगवन ! संसार में पाए जाने वाले अनेक रोगों का मूल कारण क्या है ? " आचार्य ने उत्तर देते हुए कहा ---- " लोगों के दुष्कर्म जिस स्तर के होते हैं , उसी के अनुरूप उन्हें पापों का प्रतिफल शारीरिक और मानसिक आधि - व्याधियों के रूप में प्राप्त होता है l "
प्राचीन काल में लोग उच्च स्तरीय आस्था का जीवन जीते थे l नैतिकता का , उच्च आदर्शों का उनके जीवन में समावेश था l इस कारण उस समय लोग स्वस्थ थे , बीमारियाँ इतनी नहीं थीं l
जबसे लोग उच्च स्तरीय आस्थाओं की अवहेलना करने लगे हैं , उनके चिंतन में दुष्टता और आचरण में भ्रष्टता का समावेश हुआ है तबसे तनाव और बीमारियों में वृद्धि हुई है l आज अधिसंख्य व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के मानसिक रोग से त्रस्त पाए जाते हैं l
प्राचीन काल में लोग उच्च स्तरीय आस्था का जीवन जीते थे l नैतिकता का , उच्च आदर्शों का उनके जीवन में समावेश था l इस कारण उस समय लोग स्वस्थ थे , बीमारियाँ इतनी नहीं थीं l
जबसे लोग उच्च स्तरीय आस्थाओं की अवहेलना करने लगे हैं , उनके चिंतन में दुष्टता और आचरण में भ्रष्टता का समावेश हुआ है तबसे तनाव और बीमारियों में वृद्धि हुई है l आज अधिसंख्य व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के मानसिक रोग से त्रस्त पाए जाते हैं l
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