7 August 2018

WISDOM ----- शरीर और मन परस्पर गुंथे हुए हैं , दोनों के प्रभावों की पारस्परिक क्रिया से ही आधि - व्याधि उत्पन्न होती है l

  आयुर्वेद  के  प्राचीन  ग्रन्थ  ' चरक  संहिता '  में  एक  प्रसंग  में  छात्र  अग्निवेश   अपने  गुरु  आचार्य  चरक  से  पूछता  है ----- " भगवन  ! संसार  में  पाए  जाने  वाले  अनेक  रोगों   का  मूल  कारण  क्या  है  ? "   आचार्य  ने  उत्तर  देते  हुए  कहा ---- "  लोगों  के   दुष्कर्म  जिस  स्तर  के  होते  हैं  ,  उसी  के  अनुरूप  उन्हें  पापों  का  प्रतिफल   शारीरिक  और  मानसिक   आधि - व्याधियों  के  रूप  में  प्राप्त  होता  है   l "
  प्राचीन  काल  में  लोग  उच्च  स्तरीय  आस्था  का   जीवन  जीते  थे  l   नैतिकता  का , उच्च  आदर्शों  का  उनके  जीवन  में  समावेश  था   l  इस  कारण  उस  समय  लोग  स्वस्थ  थे  ,  बीमारियाँ  इतनी  नहीं  थीं   l
      जबसे  लोग   उच्च स्तरीय  आस्थाओं  की  अवहेलना  करने  लगे  हैं ,  उनके  चिंतन  में  दुष्टता  और  आचरण  में  भ्रष्टता  का  समावेश   हुआ  है   तबसे  तनाव  और  बीमारियों    में  वृद्धि  हुई  है  l   आज  अधिसंख्य   व्यक्ति  किसी  न  किसी   प्रकार  के  मानसिक  रोग  से  त्रस्त  पाए  जाते  हैं   l  

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