सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलता है -- एक परिश्रम और दूसरा सत्प्रयास l कोई भी ताला यदि बिना चाबी के खोला गया तो आगे उपयोगी नहीं रहेगा l इसी प्रकार यदि परिश्रम और प्रयास का माद्दा अपने अन्दर पैदा नहीं किया गया तो कोई भी थोपी सफलता टिक न सकेगी l जीवन में किये गए सत्कार्य ही स्वर्ग की घंटी बजाते हैं l दरवाजा अवश्य खुलेगा l
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