मानव मन के मर्मज्ञ कहते हैं की बुरे समय में चुप रहना सीखो --- दुःख के क्षण में , बुरे समय में वाणी का प्रयोग न्यूनतम कर देना चाहिए l बुरे समय में व्यक्ति इतनी घुटन अवं असहजता अनुभव करता है कि उसकी अभिव्यक्ति वाणी के क्रूर प्रयोग के रूप में होने लगती है l
बुरे समय में पीड़ित व्यक्ति अनर्गल प्रलाप करता है , अपनी वेदना का दोषारोपण औरों पर मढ़ता है और स्वयं को निर्दोष साबित करता है l तर्कहीन प्रलाप से समस्या सुलझने के बजाय उलझ जाती है l :;अत: वाणी के प्रयोग से बचना चाहिए l
बुरे समय में पीड़ित व्यक्ति अनर्गल प्रलाप करता है , अपनी वेदना का दोषारोपण औरों पर मढ़ता है और स्वयं को निर्दोष साबित करता है l तर्कहीन प्रलाप से समस्या सुलझने के बजाय उलझ जाती है l :;अत: वाणी के प्रयोग से बचना चाहिए l
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