एक व्यक्ति समुद्र के किनारे केंकड़े एकत्र कर रहा l वह बार - बार जाल में भरकर केंकड़े लाता और उन्हें एक खाली टोकरी में डाल देता l एक व्यक्ति दूर से देख रहा था कि बिना ढंके तो ये सब निकलकर रेंगते हुए बाहर चले जायेंगे l वह उसकी मदद को आया और कहने लगा कि इन्हें ढक दो , कहीं ये निकल कर बाहर न चले जाएँ l वह व्यापारी बोला ---- " आप निश्चिन्त रहें , मैं इन्हें अच्छी तरह जनता हूँ , ये कहीं भी नहीं जायेंगे l " उसकी उत्कंठा का समाधान करते हुए उसने कहा ---- ' एक भी केंकड़ा इस पूरे समूह में से जब निकलने की कोशिश करता है तो चार केंकड़े मिलकर उसकी टांग खींच लेते हैं कि यह कैसे ऊपर जा रहा है l जब सभी की यह मनोवृति हो तो कोई कैसे बाहर आ सकता है ? "
आज के समाज , राजनीति , हर क्षेत्र में ऐसी ही मनोवृति के लोग हैं , इस कारण समाज में अशांति रहती है और समाज लोगों की प्रतिभा और योग्यता के लाभ से वंचित रह जाता है l
आज के समाज , राजनीति , हर क्षेत्र में ऐसी ही मनोवृति के लोग हैं , इस कारण समाज में अशांति रहती है और समाज लोगों की प्रतिभा और योग्यता के लाभ से वंचित रह जाता है l
No comments:
Post a Comment