हमारा जीवन हमारे दिमाग में चल रहे विचारों का ही ठोस रूप है l जैसे विचार होंगे , वैसी ही हमारी भावनाएं होंगी, वैसा ही हमारा व्यक्तित्व होगा और वैसा ही हमारा जीवन होगा l
हमें अपने विचारों और कल्पनाओं में अच्छी, श्रेष्ठ व उजली भावनाओं को देखना चाहिए , इसी से हमें अपने जीवन में सफल होने में मदद मिलती है l -----
जब रात्रि में गाड़ी में सफर किया जाता तो उसकी हेडलाईट मात्र सौ - दो सौ मीटर दूर तक ही मार्ग दिखा पाती है , लेकिन वाहन चालक की कल्पना में हेडलाईट से दीखने वाली दूरी नहीं होती बल्कि उसकी कल्पना में मंजिल होती है l इस तरह वाहन चालक पूरी रात्रि में उस सौ - दो सौ मीटर के उजाले के सहारे कई सौ किलोमीटर का सफर तय कर जाता है क्योंकि दिखाई देने वाली रोशनी गाड़ी के आगे बढ़ने के साथ - साथ बढ़ती जाती है l
जिस तरह वाहन चालक रात्रि में रोशनी को देखता है और अपने आस - पास के अँधेरे को नजरअंदाज करता है l उसी तरह हमें भी अपने विचारों और कल्पनाओं में उजली भावनाओं को देखना चाहिए l यही उजाला हमें जीवन में सफल बनाता है l
हमें अपने विचारों और कल्पनाओं में अच्छी, श्रेष्ठ व उजली भावनाओं को देखना चाहिए , इसी से हमें अपने जीवन में सफल होने में मदद मिलती है l -----
जब रात्रि में गाड़ी में सफर किया जाता तो उसकी हेडलाईट मात्र सौ - दो सौ मीटर दूर तक ही मार्ग दिखा पाती है , लेकिन वाहन चालक की कल्पना में हेडलाईट से दीखने वाली दूरी नहीं होती बल्कि उसकी कल्पना में मंजिल होती है l इस तरह वाहन चालक पूरी रात्रि में उस सौ - दो सौ मीटर के उजाले के सहारे कई सौ किलोमीटर का सफर तय कर जाता है क्योंकि दिखाई देने वाली रोशनी गाड़ी के आगे बढ़ने के साथ - साथ बढ़ती जाती है l
जिस तरह वाहन चालक रात्रि में रोशनी को देखता है और अपने आस - पास के अँधेरे को नजरअंदाज करता है l उसी तरह हमें भी अपने विचारों और कल्पनाओं में उजली भावनाओं को देखना चाहिए l यही उजाला हमें जीवन में सफल बनाता है l
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