भगवान बुद्ध के समय का एक प्रसंग है ----- एक बार एक धनी व्यक्ति भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए पहुंचा l उसका शरीर बहुत भारी - भरकम और बेडौल था , उसे चलने व झुकने में भी बहुत कठिनाई थी l उसने खड़े - खड़े ही भगवान का अभिवादन किया और विनम्रता से बोला ---- भगवन ! मेरा शरीर व्याधियों का घर बन चुका है l रात को न तो नींद आ पाती है और न दिन को चैन से बैठ पाता हूँ l मुझे रोगमुक्त होने का कोई उपाय बताएं l "
भगवन बुद्ध उसकी और करुणा भरी द्रष्टि से देखते रहे फिर बोले ---- " भंते ! प्रचुर भोजन करने से उत्पन्न आलस्य और निद्रा , भोग व अनंत इच्छाओं की कामना, शारीरिक श्रम का अभाव---- ये सब रोग पनपने के कारण हैं l जीभ पर नियंत्रण रखने , संयमपूर्वक सादा भोजन करने , शारीरिक श्रम करने , सत्कर्म करने और अपनी इच्छाएं सीमित करने से ये रोग विदा हो जाते हैं l असीमित इच्छाएं शरीर को घुन की तरह जर्जर बना डालती हैं , इसलिए उन्हें त्यागो l '
सेठ ने भगवान बुद्ध की बातों का मर्म समझा और उनके पालन करने का संकल्प लिया l इन वचनों को जीवन में धारण करने के साथ संयमित जीवन शैली को अपनाकर वह सेठ कुछ दिनों में स्वस्थ हो गया l
अब वह पुन: भगवान बुद्ध से मिलने गया , उसने झुककर प्रणाम किया और कहा --- " शरीर का रोग तो आपकी कृपा से दूर हो गया , अब चित कैसे शांत हो ? "
बुद्ध ने कहा ---- " अच्छा सोचो , अच्छा करो और अच्छे लोगों का संग करो l विचारों का संयम चित को शांति और संतोष देगा l "
भगवन बुद्ध उसकी और करुणा भरी द्रष्टि से देखते रहे फिर बोले ---- " भंते ! प्रचुर भोजन करने से उत्पन्न आलस्य और निद्रा , भोग व अनंत इच्छाओं की कामना, शारीरिक श्रम का अभाव---- ये सब रोग पनपने के कारण हैं l जीभ पर नियंत्रण रखने , संयमपूर्वक सादा भोजन करने , शारीरिक श्रम करने , सत्कर्म करने और अपनी इच्छाएं सीमित करने से ये रोग विदा हो जाते हैं l असीमित इच्छाएं शरीर को घुन की तरह जर्जर बना डालती हैं , इसलिए उन्हें त्यागो l '
सेठ ने भगवान बुद्ध की बातों का मर्म समझा और उनके पालन करने का संकल्प लिया l इन वचनों को जीवन में धारण करने के साथ संयमित जीवन शैली को अपनाकर वह सेठ कुछ दिनों में स्वस्थ हो गया l
अब वह पुन: भगवान बुद्ध से मिलने गया , उसने झुककर प्रणाम किया और कहा --- " शरीर का रोग तो आपकी कृपा से दूर हो गया , अब चित कैसे शांत हो ? "
बुद्ध ने कहा ---- " अच्छा सोचो , अच्छा करो और अच्छे लोगों का संग करो l विचारों का संयम चित को शांति और संतोष देगा l "
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