अति का अहंकार नाश का कारण होता है l दसों दिशाओं में रावण का आतंक फैला था l कोई यह सोच भी नहीं सकता था कि उसका विरोध - प्रतिरोध किया जा सकता है l अनीति जब चरम सीमा पर पहुंची , राम जन्म की तैयारी होने लगी l तब भगवान की सहायतार्थ देवता --- रीछ , वानर , गिद्ध आदि जाग्रत वरिष्ठ आत्माओं के रूप में जन्मे और अपने शौर्य - साहस का परिचय देते हुए धर्म युद्ध में सहायक होकर अवतार के प्रयोजन की पूर्ति की l
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