महाभारत में धर्मराज युधिष्ठिर और यक्ष के मिलने का प्रसंग है l यक्ष उनसे कई प्रश्न पूछता है , इसी क्रम में यक्ष ने उनसे पूछा ---- " इस संसार का परम आश्चर्य क्या है ? किमाश्चर्य परम ? "
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया ------ " सबसे बड़ा आश्चर्य है कि मृत्यु को सुनिश्चित घटना के रूप में देखकर भी मनुष्य इसे अनदेखा करता है l वह मृत्यु की नहीं , जीवन की तैयारी कुछ इस अंदाज में करता है , जैसे विश्वास हो कि वह कभी मरेगा ही नहीं l उसे सदा - सदा जीवित रहना है l "
मृत्यु का अनुभव सिर्फ उन्ही को होता है, जिनकी मृत्यु होती है l
मृत्यु का बोध हो जाये तो जीवन सार्थक हो जाता है l
' जब आया था इस दुनिया में , सब हँसते थे तू रोता था l
अब ऐसी करनी कर जग में सभी रोयें तू हँसता जा l
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया ------ " सबसे बड़ा आश्चर्य है कि मृत्यु को सुनिश्चित घटना के रूप में देखकर भी मनुष्य इसे अनदेखा करता है l वह मृत्यु की नहीं , जीवन की तैयारी कुछ इस अंदाज में करता है , जैसे विश्वास हो कि वह कभी मरेगा ही नहीं l उसे सदा - सदा जीवित रहना है l "
मृत्यु का अनुभव सिर्फ उन्ही को होता है, जिनकी मृत्यु होती है l
मृत्यु का बोध हो जाये तो जीवन सार्थक हो जाता है l
' जब आया था इस दुनिया में , सब हँसते थे तू रोता था l
अब ऐसी करनी कर जग में सभी रोयें तू हँसता जा l
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