स्वामी विवेकानन्द जब अमेरिका गए तो वहां एक ने उनसे सवाल किया ----- " क्या आपने हिंदुस्तान में ब्रह्म विद्दा सिखा ली ? हिंदुस्तान में ज्ञान और धर्म का प्रचार हो गया , जो इतना लम्बा सफर कर के यहाँ आये ? " स्वामी ने गम्भीरता से उत्तर दिया ------ " हमारा भारतवर्ष तमोगुण में डूबा हुआ है आप एक क्लास आगे बढ़ गए हैं , आप रजोगुण में हैं इसलिए आपको उसके आगे -- सतोगुण का पाठ सिखाने आये हैं l हम आपको न तो भजन की शिक्षा देने आये हैं और न ही संयम और सेवा की l आप सामर्थ्यवान हैं और सामर्थ्यवान को त्याग की शिक्षा दी जा सकती है, ज्ञान , ध्यान और प्रेम की शिक्षा दी जा सकती है लेकिन जहाँ गरीबी है , बेरोजगारी है वहां ध्यान और त्याग की शिक्षा कैसे दे सकते हैं l "
हजारों वर्षों की गुलामी के कारण भारत अभी भी तमोगुण अर्थात जड़ता की स्थिति में है यहाँ कर्मयोग के शिक्षण की जरुरत है l
तुलसीदासजी ने भी लिखा है ---- ' सकल पदारथ हैं जग मांहीं, करमहीन नए पावत नाहीं l
कर्मकांड और आडम्बर छोड़कर आज लोगों को कर्मयोगी बनने की जरुरत है l
हजारों वर्षों की गुलामी के कारण भारत अभी भी तमोगुण अर्थात जड़ता की स्थिति में है यहाँ कर्मयोग के शिक्षण की जरुरत है l
तुलसीदासजी ने भी लिखा है ---- ' सकल पदारथ हैं जग मांहीं, करमहीन नए पावत नाहीं l
कर्मकांड और आडम्बर छोड़कर आज लोगों को कर्मयोगी बनने की जरुरत है l
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