विभिन्न प्राणियों में जैसे सांप और नेवले में वैर प्राकृतिक होता है किन्तु ऐसे प्राणी भी कभी अपना वैर त्याग देते हैं ---- महर्षि रमण आदि अनेक महान योगी हैं जिनके आश्रम में परस्पर वैर रखने वाले प्राणी भी प्रेम से रहते थे , कभी किसी का अहित नहीं करते थे l
किन्तु मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो काम , क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार , ईर्ष्या - द्वेष आदि विकारों से ग्रस्त है और इन्ही विकारों के कारण वह दूसरों का अहित करता है , उन्हें कष्ट देता है l
भगवान बुद्ध का एक चचेरा भाई था देवदत्त , वह भगवान बुद्ध से गहरी ईर्ष्या रखता था l उसकी हमेशा यही कोशिश रही कि कब उसे मौका मिले और वह कब तथागत की हत्या कर दे l कहा जाता है जब बुद्ध पहाड़ी के निकट वृक्ष के नीचे ध्यान कर रहे थे तो देवदत्त ने उन पर एक बड़ी सी चट्टान लुढ़का दी l पूरी संभावना थी कि बुद्ध कुचल जाते , लेकिन आश्चर्य ! न जाने कैसे चट्टान ने अपनी राह बदल दी और तथागत साफ बच गए l किसी ने पूछा ---- " भगवन ! यह आश्चर्य कैसे घटित हुआ ? " तब उत्तर में बुद्ध ने कहा ---- " एक चट्टान ज्यादा संवेदनशील है देवदत्त से , चट्टान ने अपना मार्ग बदल दिया l "
आज के समय में स्थिति और भी खतरनाक हो गई है क्योंकि क्योंकि इन मानसिक विकारों के साथ गरीबी , बेरोजगारी और अज्ञानता भी जुड़ गए हैं l और दूसरी ओर समाज का एक वर्ग ऐसा है जिसके पास सब सुख - वैभव है लेकिन अपनी असीमित कामना , वासना और तृष्णा को पूरा करने के लिए वह अपने चेहरे पर शराफत का नकाब डाल लेता है और अपनी अपराधिक गतिविधियों को पूरा करने के लिए लोगों को किराये पर लेता है l
अब जंगल तो कट गए , जंगली जानवरों का भय नहीं है l अब मनुष्य ही सबसे खतरनाक प्राणी है जो बिना किसी वजह के अपनी ही विकृतियों के कारण न केवल मनुष्यों को अपितु प्रकृति , पर्यावरण , प्रकृति के प्रत्येक घटक को नुकसान पहुंचाता है l
किन्तु मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो काम , क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार , ईर्ष्या - द्वेष आदि विकारों से ग्रस्त है और इन्ही विकारों के कारण वह दूसरों का अहित करता है , उन्हें कष्ट देता है l
भगवान बुद्ध का एक चचेरा भाई था देवदत्त , वह भगवान बुद्ध से गहरी ईर्ष्या रखता था l उसकी हमेशा यही कोशिश रही कि कब उसे मौका मिले और वह कब तथागत की हत्या कर दे l कहा जाता है जब बुद्ध पहाड़ी के निकट वृक्ष के नीचे ध्यान कर रहे थे तो देवदत्त ने उन पर एक बड़ी सी चट्टान लुढ़का दी l पूरी संभावना थी कि बुद्ध कुचल जाते , लेकिन आश्चर्य ! न जाने कैसे चट्टान ने अपनी राह बदल दी और तथागत साफ बच गए l किसी ने पूछा ---- " भगवन ! यह आश्चर्य कैसे घटित हुआ ? " तब उत्तर में बुद्ध ने कहा ---- " एक चट्टान ज्यादा संवेदनशील है देवदत्त से , चट्टान ने अपना मार्ग बदल दिया l "
आज के समय में स्थिति और भी खतरनाक हो गई है क्योंकि क्योंकि इन मानसिक विकारों के साथ गरीबी , बेरोजगारी और अज्ञानता भी जुड़ गए हैं l और दूसरी ओर समाज का एक वर्ग ऐसा है जिसके पास सब सुख - वैभव है लेकिन अपनी असीमित कामना , वासना और तृष्णा को पूरा करने के लिए वह अपने चेहरे पर शराफत का नकाब डाल लेता है और अपनी अपराधिक गतिविधियों को पूरा करने के लिए लोगों को किराये पर लेता है l
अब जंगल तो कट गए , जंगली जानवरों का भय नहीं है l अब मनुष्य ही सबसे खतरनाक प्राणी है जो बिना किसी वजह के अपनी ही विकृतियों के कारण न केवल मनुष्यों को अपितु प्रकृति , पर्यावरण , प्रकृति के प्रत्येक घटक को नुकसान पहुंचाता है l
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