गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं --- " जैसा आचरण एक श्रेष्ठ पुरुष का होता है , अन्य पुरुष भी वैसा ही आचरण करते हैं l वह जैसा भी कुछ आदर्श उपस्थित करता है , लोग उसी का अनुसरण करते हैं l
जो मनुष्य विशिष्ट श्रेणी के हैं , उनका आचरण सारे समाज के उत्थान - पतन का कारण बन सकता है क्योंकि अधिकांश मनुष्य अपनी जीवनचर्या के लिए भी द्रष्टि औरों पर डालते हैं l आज समाज का इतना अधिक नैतिक पतन हुआ ही इसलिए है कि जनता भ्रष्ट आचरण ही चारों ओर देखती है , उसे कहीं कोई मार्गदर्शक तंत्र दिखाई ही नहीं पड़ता है l
गीता में भगवान स्पष्ट रूप से कहते हैं कि आम जनता , नेता लोग जो कहते हैं उसका नहीं , लेकिन जो कुछ भी करते हैं , उसी का अनुकरण करती है l
स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अपने बारे में भी यही बात कहते हैं कि --- यद्दपि संसार में उनके लिए प्राप्त करने को कुछ भी नहीं है , उन्हें सभी कुछ सुलभ है तो भी वे अथक रूप से निरंतर कार्य करते रहते हैं l यदि वे प्रमाद करेंगे तो अन्य लोग भी उनका अनुसरण कर अपना जीवन नष्ट कर बैठेंगे l भगवान् कहते हैं कि मैं अवतार हूँ , मैं जो चाहूँ वह प्राप्त कर सकता हूँ , फिर भी मैं कर्म करता हूँ l वे कहते हैं कि यदि मैं सावधानीपूर्वक हर तरह से सोच - समझकर कर्म न करूँ तो बड़ी हानि हो जाएगी क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं l
जो मनुष्य विशिष्ट श्रेणी के हैं , उनका आचरण सारे समाज के उत्थान - पतन का कारण बन सकता है क्योंकि अधिकांश मनुष्य अपनी जीवनचर्या के लिए भी द्रष्टि औरों पर डालते हैं l आज समाज का इतना अधिक नैतिक पतन हुआ ही इसलिए है कि जनता भ्रष्ट आचरण ही चारों ओर देखती है , उसे कहीं कोई मार्गदर्शक तंत्र दिखाई ही नहीं पड़ता है l
गीता में भगवान स्पष्ट रूप से कहते हैं कि आम जनता , नेता लोग जो कहते हैं उसका नहीं , लेकिन जो कुछ भी करते हैं , उसी का अनुकरण करती है l
स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अपने बारे में भी यही बात कहते हैं कि --- यद्दपि संसार में उनके लिए प्राप्त करने को कुछ भी नहीं है , उन्हें सभी कुछ सुलभ है तो भी वे अथक रूप से निरंतर कार्य करते रहते हैं l यदि वे प्रमाद करेंगे तो अन्य लोग भी उनका अनुसरण कर अपना जीवन नष्ट कर बैठेंगे l भगवान् कहते हैं कि मैं अवतार हूँ , मैं जो चाहूँ वह प्राप्त कर सकता हूँ , फिर भी मैं कर्म करता हूँ l वे कहते हैं कि यदि मैं सावधानीपूर्वक हर तरह से सोच - समझकर कर्म न करूँ तो बड़ी हानि हो जाएगी क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं l
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