हमारे महाकाव्य हमें जीना सिखाते हैं ----
आत्मविश्वास टूटा तो सामर्थ्य चाहे कितनी ही प्रचंड - अजेय क्यों न हो , काम नहीं आती और पराजय का मुंह देखना पड़ता है l
अपनी फूटनीति से महाभारत युद्ध में दुर्योधन ने शल्य को कर्ण का सारथी बनने के लिए सहमत कर लिया l कर्ण ने कहा था ---- " यदि मुझे शल्य जैसा सारथी मिल जाये तो एक अर्जुन तो क्या , सैकड़ों अर्जुन जैसे वीरों को मार दूंगा l "
पांडवों को मालूम हुआ कि मामा शल्य ने कर्ण का सारथी बनना स्वीकार कर लिया है l शल्य का सारथी बनना पांडवों के लिए खतरे से खाली न था l बात कृष्ण को मालूम हुई l नीति निपुण कृष्ण ने शल्य से निवेदन किया ---- " कर्ण का सारथी बनने के लिए आप वचनबद्ध हैं l युद्ध में कौरवों का साथ दीजिए, पर धर्मयुद्ध के लिए आप मात्र कर्ण को हतोत्साहित करते रहिएगा l " शल्य ने कृष्ण का निवेदन स्वीकार कर लिया l इतिहास प्रसिद्ध है कि शल्य के हतोत्साहित करते रहने के फलस्वरूप ही कर्ण का मनोबल टूटता रहा , फलत: वह हारा और मारा गया l
इस प्रसंग से हमें शिक्षा मिलती है कि हम सबके जीवन में , हमें उन्नति के पथ पर आगे बढ़ने से रोकने के लिए अनेकों शल्य आते हैं , जो अपने छल - बल से हमें हतोत्साहित करने का , मनोबल को गिराने का प्रयास करते हैं l हम ईश्वर विश्वासी बने , ईश्वर विश्वासी ही आत्मविश्वासी होता है l
आत्मविश्वास टूटा तो सामर्थ्य चाहे कितनी ही प्रचंड - अजेय क्यों न हो , काम नहीं आती और पराजय का मुंह देखना पड़ता है l
अपनी फूटनीति से महाभारत युद्ध में दुर्योधन ने शल्य को कर्ण का सारथी बनने के लिए सहमत कर लिया l कर्ण ने कहा था ---- " यदि मुझे शल्य जैसा सारथी मिल जाये तो एक अर्जुन तो क्या , सैकड़ों अर्जुन जैसे वीरों को मार दूंगा l "
पांडवों को मालूम हुआ कि मामा शल्य ने कर्ण का सारथी बनना स्वीकार कर लिया है l शल्य का सारथी बनना पांडवों के लिए खतरे से खाली न था l बात कृष्ण को मालूम हुई l नीति निपुण कृष्ण ने शल्य से निवेदन किया ---- " कर्ण का सारथी बनने के लिए आप वचनबद्ध हैं l युद्ध में कौरवों का साथ दीजिए, पर धर्मयुद्ध के लिए आप मात्र कर्ण को हतोत्साहित करते रहिएगा l " शल्य ने कृष्ण का निवेदन स्वीकार कर लिया l इतिहास प्रसिद्ध है कि शल्य के हतोत्साहित करते रहने के फलस्वरूप ही कर्ण का मनोबल टूटता रहा , फलत: वह हारा और मारा गया l
इस प्रसंग से हमें शिक्षा मिलती है कि हम सबके जीवन में , हमें उन्नति के पथ पर आगे बढ़ने से रोकने के लिए अनेकों शल्य आते हैं , जो अपने छल - बल से हमें हतोत्साहित करने का , मनोबल को गिराने का प्रयास करते हैं l हम ईश्वर विश्वासी बने , ईश्वर विश्वासी ही आत्मविश्वासी होता है l
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