एक बार भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को गाँवों में सेवा कार्य करने भेजा l भिक्षुक गांवों में जाकर लोगों को तथागत की वाणी और ध्यान आदि का उपदेश देने लगे l ग्रामीणों ने उनकी कुछ नहीं सुनी और मान - सम्मान भी नहीं दिया l भिक्षुक निराश - हताश होकर लौट आये l भगवान बुद्ध ने उनकी बातों को ध्यान से सुना , फिर उठे और गाँव की ओर चल पड़े l उनके पीछे अनेक शिष्य भी चले l
भगवान बुद्ध गाँव पहुँचने के बाद वहां की सफाई करने लगे , अपने हाथों से झाड़ू लगाईं , कूड़ा उठाया l इसके बाद अपने शिष्यों के सहयोग से खाना बनाया और सभी गाँव के लोगों को बुलाकर प्यार से खाना खिलाया l गाँव वालों का सुख - दुःख पूछा , आपका घर तो सुरक्षित है ? भोजन आदि तो ठीक मिलता है ? आप लोगों की कोई भी समस्या है तो निस्संकोच हमारे सामने रखें l गाँव वाले उत्साह पूर्वक अपनी - अपनी समस्या प्रकट करने लगे , कुछ लोगों ने अनुरोध कर एकांत में भगवान बुद्ध से अपनी समस्या का समाधान पाया l चारों और दिव्य और स्वर्गीय वातावरण बन गया था l भिक्षुक आश्चर्य करने लगे कि ऐसा कैसे हुआ ?
भगवान बुद्ध बोले ---- " वत्स ! सेवा का अर्थ उपदेश देना नहीं , वरन लोगों को उनके कष्टों से मुक्ति दिलाना है l जिसको भूख लगी है , वह भला भोजन के अलावा और क्या सोच सकता है ? जिसके सिर पर छत नहीं है , जीवन में अनेकों समस्याएं हैं , वह कैसे ध्यान और अध्यात्म की बात समझ सकता है l उनके कष्टों का समाधान करना ही उन्हें ध्यान की ओर ले जायेगा l
भिक्षुओं ने अपनी त्रुटी समझी कि उन्होंने केवल बातें कहीं , उपदेश दिया लेकिन भगवान बुद्ध ने उन बातों को जीवन में उतारकर कर्म के माध्यम से अभिव्यक्त किया l
भगवान बुद्ध गाँव पहुँचने के बाद वहां की सफाई करने लगे , अपने हाथों से झाड़ू लगाईं , कूड़ा उठाया l इसके बाद अपने शिष्यों के सहयोग से खाना बनाया और सभी गाँव के लोगों को बुलाकर प्यार से खाना खिलाया l गाँव वालों का सुख - दुःख पूछा , आपका घर तो सुरक्षित है ? भोजन आदि तो ठीक मिलता है ? आप लोगों की कोई भी समस्या है तो निस्संकोच हमारे सामने रखें l गाँव वाले उत्साह पूर्वक अपनी - अपनी समस्या प्रकट करने लगे , कुछ लोगों ने अनुरोध कर एकांत में भगवान बुद्ध से अपनी समस्या का समाधान पाया l चारों और दिव्य और स्वर्गीय वातावरण बन गया था l भिक्षुक आश्चर्य करने लगे कि ऐसा कैसे हुआ ?
भगवान बुद्ध बोले ---- " वत्स ! सेवा का अर्थ उपदेश देना नहीं , वरन लोगों को उनके कष्टों से मुक्ति दिलाना है l जिसको भूख लगी है , वह भला भोजन के अलावा और क्या सोच सकता है ? जिसके सिर पर छत नहीं है , जीवन में अनेकों समस्याएं हैं , वह कैसे ध्यान और अध्यात्म की बात समझ सकता है l उनके कष्टों का समाधान करना ही उन्हें ध्यान की ओर ले जायेगा l
भिक्षुओं ने अपनी त्रुटी समझी कि उन्होंने केवल बातें कहीं , उपदेश दिया लेकिन भगवान बुद्ध ने उन बातों को जीवन में उतारकर कर्म के माध्यम से अभिव्यक्त किया l
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