बंट्रेण्ड रसेल का कथन है ---- " मानव जाति अब तक जीवित रह सकी है तो अपने अज्ञान और अक्षमता के कारण ही , परन्तु यदि ज्ञान व क्षमता मूढ़ता के साथ युक्त हो जाएँ तो उसके बचे रहने की कोई संभावना नहीं है l विज्ञानं के साथ विवेक एवं औचित्यपूर्ण क्रिया कुशलता की आवश्यकता है l " विज्ञान ने साधन और सुविधाओं का अंबार लगा दिया है l विज्ञानं में हर चीज का भौतिक मूल्यांकन होता है l इसमें मानवीय संवेदना का सर्वथा अभाव है l विकसित देशों में आधुनिक टेक्नोलॉजी है , आर्थिक समस्या नहीं है लेकिन वहां मानसिक समस्याएं बहुत हैं और अनेक लाइलाज रोग हैं l मनीषियों का कहना है आंसुओं के पानी का वैज्ञानिक विश्लेषण तो किया जा सकता है लेकिन उनके पीछे कौन सी भावना ---- , ममता , करुणा, स्नेह , व्यथा , वेदना आदि क्या छुपा है यह विज्ञान नहीं बताता l इस कारण व्यक्ति के जीवन में रिक्तता , एक खालीपन होता है l उसके ह्रदय को , उसकी भावनाओं को समझने वाला कोई नहीं होता l इसी कारण अनेक मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती है l
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