समर्थ गुरु रामदास के धर्म ग्रन्थ ' दासबोध ' की शिक्षाएं औरंगजेब के शासनकाल में जैसी लाभदायक थीं वैसी ही इस अणुयुग में भी सुख और शांति प्राप्त करने में सहायक हो सकती हैं l समर्थ गुरु रामदास ने अपने अनुयायिओं को उस राजनीति की शिक्षा दी जो विवेक , सूझ - बूझ और सावधानी पर आधारित होती है l उनका कहना है --- " जो डरकर पेड़ पर चढ़ जाये उसे दम - दिलासा देना चाहिए और जो लड़ने को तैयार हो उसे धक्का देकर गिरा देना चाहिए " इसका आशय यह है कि सांसारिक व्यवहार में भी हमको अकारण किसी का अहित नहीं करना चाहिए , यथासंभव समझौते और मेल - मिलाप की नीति से काम लेना चाहिए l लड़ना तभी चाहिए जब कोई नीच और स्वार्थी व्यक्ति दुष्टता करने पर उतारू हो l
शिवाजी महाराज ने इसी नीति पर चलकर महाराष्ट्र में संगठन शक्ति उत्पन्न कर दी और औरंगजेब जैसे साम्राज्यवादी के छक्के छुड़ा दिए l वे कहते थे कि अकारण देश में अशांति या रक्तपात की स्थिति उत्पन्न करना श्रेष्ठ नीति नहीं है l वे कहते थे कि--- " सच्ची राजनीतिवही है जिसमे दुष्टों के दमन के साथ शिष्ट व्यक्तियों के रक्षण और पालन का भी पूरा ध्यान रखा जाये l "
शिवाजी महाराज ने इसी नीति पर चलकर महाराष्ट्र में संगठन शक्ति उत्पन्न कर दी और औरंगजेब जैसे साम्राज्यवादी के छक्के छुड़ा दिए l वे कहते थे कि अकारण देश में अशांति या रक्तपात की स्थिति उत्पन्न करना श्रेष्ठ नीति नहीं है l वे कहते थे कि--- " सच्ची राजनीतिवही है जिसमे दुष्टों के दमन के साथ शिष्ट व्यक्तियों के रक्षण और पालन का भी पूरा ध्यान रखा जाये l "
No comments:
Post a Comment