'मनुष्य के भीतर असीमित सामर्थ्य है , जब वह अपनी इस छिपी हुई शक्ति को पहचान लेता है तो सफलता उसके कदम चूमती है l इसी बात को समझाने वाली एक कथा है ---- हंस का एक बच्चा संयोग से बगुलों के झुण्ड में जन्म से ही पहुँच गया l जब वह थोडा बड़ा हुआ तो अपनी जाति के अनुसार बगुलों से भिन्न था l बगुलों के झुण्ड में पच्चीस - तीस बगुले थे , जिनका आकार, रंग - रूप एक सा था l पर वह हंस - शावक उन सबसे अलग था l अत: सभी बगुले उसका मजाक उड़ाया करते , उसकी हंसी करते और उसका तिरस्कार भी करते थे l इस व्यवहार से वह बड़ा व्यथित होता था l
एक बार वह अपने इन दुष्ट बगुला साथियों के साथ उड़ रहा था कि ऊपर नील गगन में उसे अपने सामान रंग - रूप और वर्ण वाले पक्षी उड़ते दिखाई दिए , वाज बगुले का साथ छोड़कर अपने उन , जातिलोगों से जा मिला l हंसों ने भी अपने इस भटके सदस्य का स्वगत किया l
' वह भटका हुआ हंस का बच्चा था l तब तक उसे दुःखी रहना पड़ा जब तक उसे अपने स्वरुप और शक्ति का ज्ञान नहीं हुआ l और जब वह अपने आपको पहचानने लगा तो आकाश में इतनी ऊंचाई तक उड़ा , जहाँ सामान्य पक्षी नहीं पहुँच पाता l ' यह तथ्य हर व्यक्ति के सम्बन्ध में लागू होता है l '
एक बार वह अपने इन दुष्ट बगुला साथियों के साथ उड़ रहा था कि ऊपर नील गगन में उसे अपने सामान रंग - रूप और वर्ण वाले पक्षी उड़ते दिखाई दिए , वाज बगुले का साथ छोड़कर अपने उन , जातिलोगों से जा मिला l हंसों ने भी अपने इस भटके सदस्य का स्वगत किया l
' वह भटका हुआ हंस का बच्चा था l तब तक उसे दुःखी रहना पड़ा जब तक उसे अपने स्वरुप और शक्ति का ज्ञान नहीं हुआ l और जब वह अपने आपको पहचानने लगा तो आकाश में इतनी ऊंचाई तक उड़ा , जहाँ सामान्य पक्षी नहीं पहुँच पाता l ' यह तथ्य हर व्यक्ति के सम्बन्ध में लागू होता है l '
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