मनुष्य जैसे विचार करता है उसकी सूक्ष्म तरंगे विश्वाकाश में फैल जाती हैं l स्वामी विवेकनन्द ने विचारों की शक्ति का उल्लेख करते हुए बताया है कि---- " कोई व्यक्ति भले ही किसी गुफा में जाकर विचार करे और विचार करते - करते ही वह मर जाये , तो भी वे विचार कुछ समय उपरांत गुफा की दीवारों का विच्छेद कर बाहर निकल पड़ेंगे , और सर्वत्र फैल जायेंगे l वे विचार तब सबको प्रभावित करेंगे l "
रूस की जन क्रान्ति के नेता महापुरुष लेनिन केवल गर्मागर्म भाषण कर के लोगों की वाहवाही से संतुष्ट होने वाले नेता नहीं थे l उन्होंने लिखने की मेज पर बैठे हुए जो स्वप्न देखा था , वह उन्हें निरंतर आगे बढ़ने को प्रेरित करता रहता था l उस समय अत्यंत साधारण और गरीबी की दशा में रहने पर भी लेनिन एक ऐसी शक्तिशाली संस्था के निर्माण के लिए प्रयत्नशील था जो रूस में उथल - पुथल मचा दे और जारशाही का तख्ता पलट दे l जिस प्रकार संसार के अन्य प्रसिद्ध योद्धा --- सिकंदर , शिवाजी , नेपोलियन आदि छोटी अवस्था से ही एक विशेष भाव से अभिभूत होकर भावी साम्राज्य की कल्पना किया करते थे , उसी प्रकार लेनिन भी , जिसने एक बड़ी भारी सल्तनत को पलटने का प्रण किया था , लन्दन के हाईगेट कब्रिस्तान में कार्ल मार्क्स की कब्र के पास घंटों तक बैठकर असीम शक्तिशाली भावी बोल्शेविक दल का स्वप्न देखा करता था l अन्तर इतना ही था कि प्राचीन काल के योद्धाओं ने देवताओं अथवा ईश्वर का नाम लेकर तलवार उठाई थी , लेनिन के इस कार्यक्रम का आधार इतिहास और समाजशास्त्र था l
अधिकांश सार्वजनिक कार्यकर्त्ता ख्याति के लोभ को रोक नहीं पाते और किसी न किसी प्रकार अपने को जाहिर कर देते हैं पर लेनिन ऐसी यश की लालसा से बहुत ऊँचा उठा हुआ था और वह बराबर एक अँधेरी कोठरी में बैठा हुआ गुप्त रूप से अपना काम करता था l रुसी क्रांति को लेनिन ने कैसे अपना सर्वस्व होम कर के खड़ा किया --- यह रुसी इतिहास की अमर गाथा है l
रूस की जन क्रान्ति के नेता महापुरुष लेनिन केवल गर्मागर्म भाषण कर के लोगों की वाहवाही से संतुष्ट होने वाले नेता नहीं थे l उन्होंने लिखने की मेज पर बैठे हुए जो स्वप्न देखा था , वह उन्हें निरंतर आगे बढ़ने को प्रेरित करता रहता था l उस समय अत्यंत साधारण और गरीबी की दशा में रहने पर भी लेनिन एक ऐसी शक्तिशाली संस्था के निर्माण के लिए प्रयत्नशील था जो रूस में उथल - पुथल मचा दे और जारशाही का तख्ता पलट दे l जिस प्रकार संसार के अन्य प्रसिद्ध योद्धा --- सिकंदर , शिवाजी , नेपोलियन आदि छोटी अवस्था से ही एक विशेष भाव से अभिभूत होकर भावी साम्राज्य की कल्पना किया करते थे , उसी प्रकार लेनिन भी , जिसने एक बड़ी भारी सल्तनत को पलटने का प्रण किया था , लन्दन के हाईगेट कब्रिस्तान में कार्ल मार्क्स की कब्र के पास घंटों तक बैठकर असीम शक्तिशाली भावी बोल्शेविक दल का स्वप्न देखा करता था l अन्तर इतना ही था कि प्राचीन काल के योद्धाओं ने देवताओं अथवा ईश्वर का नाम लेकर तलवार उठाई थी , लेनिन के इस कार्यक्रम का आधार इतिहास और समाजशास्त्र था l
अधिकांश सार्वजनिक कार्यकर्त्ता ख्याति के लोभ को रोक नहीं पाते और किसी न किसी प्रकार अपने को जाहिर कर देते हैं पर लेनिन ऐसी यश की लालसा से बहुत ऊँचा उठा हुआ था और वह बराबर एक अँधेरी कोठरी में बैठा हुआ गुप्त रूप से अपना काम करता था l रुसी क्रांति को लेनिन ने कैसे अपना सर्वस्व होम कर के खड़ा किया --- यह रुसी इतिहास की अमर गाथा है l
No comments:
Post a Comment