' चेतना का स्तर ऊँचा होने पर ही शक्ति और सम्पदा का सदुपयोग संभव है इसके बिना बन्दर के हाथ तलवार पड़ने की संभावना ही अधिक रहेगी l '
जिसका अंतरंग निकृष्ट होता है तो अभावग्रस्त स्थिति में उसकी यह बुराई दबी रहती है , लेकिन शक्ति और साधन मिलने पर वह और अधिक खुला खेल खेलने लगती है l दुर्बुद्धि ग्रस्त और कुकर्मी व्यक्ति यदि शक्तिशाली हो जाये तो वह विनाश के गर्त में अधिक तेजी से गिरेगा l कुकर्मी का वैभव उसके स्वयं के लिए , असंख्य व्यक्तियों तथा समाज के लिए अभिशाप होता है l
समर्थता और सम्पन्नता का उस व्यक्ति व समाज को लाभ तभी संभव है जब व्यक्ति शालीन हो , उसकी चेतना का स्तर उत्कृष्ट हो l
जिसका अंतरंग निकृष्ट होता है तो अभावग्रस्त स्थिति में उसकी यह बुराई दबी रहती है , लेकिन शक्ति और साधन मिलने पर वह और अधिक खुला खेल खेलने लगती है l दुर्बुद्धि ग्रस्त और कुकर्मी व्यक्ति यदि शक्तिशाली हो जाये तो वह विनाश के गर्त में अधिक तेजी से गिरेगा l कुकर्मी का वैभव उसके स्वयं के लिए , असंख्य व्यक्तियों तथा समाज के लिए अभिशाप होता है l
समर्थता और सम्पन्नता का उस व्यक्ति व समाज को लाभ तभी संभव है जब व्यक्ति शालीन हो , उसकी चेतना का स्तर उत्कृष्ट हो l
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