14 June 2019

WISDOM ----- धर्म की सार्थकता

 खलील  जिब्रान  का  जन्म  लेबनान  में  अत्यंत  धन - संपन्न  परिवार   में  1883   में  हुआ  था  l  दस  वर्ष  की  अल्पायु  में  ही  उन्होंने  अपने  पिता  के  साथ  विश्व  के  कई  देशों  का भ्रमण  किया  था , इससे  उनका बौद्धिक ज्ञान  अत्यंत  विस्तृत  हो  गया  था  l
  तत्कालीन  समाज  में  फैली  हुई   रूढ़िवादिता ,  धार्मिक  और  सामाजिक  कुरीतियों   को  देखकर   खलील  जिब्रान  ने  विचार  किया  कि  जब  तक  इन्हें  दूर  नहीं  किया  जायेगा  , तब  तक  जीवन  में  विकृतियों  की  भरमार  रहेगी  और  समाज  स्वस्थ  वायु  में  सांस  नहीं  ले  सकेगा   l  वे  कहते  थे  कि  धर्म  की  सार्थकता  इसी  में  है   कि   वह  उन्नत  और  सदाचारी  जीवन  जीने  की  पद्धति  को  दर्शा  सके   l  ऐसा  धर्म  जो  गरीब  और  असहाय  लोगों  का  गला  काटता  है --- धर्म  नहीं  कुधर्म  है , उसका  परित्याग  करना  ही  उचित  है  l  गरीब  तथा  समाज  के  पीड़ित  शोषित  वर्ग  के  पक्ष  में  बोलने  तथा  उनमे  अपने  मानवीय  अधिकारों  की चेतना जाग्रत  करने के  फलस्वरूप   जागीरदारों  और  धर्म  के  ठेकेदारों  ने  देश  से  निष्कासित  कर  दिया  l  उस  समय  उन्होंने  कहा  था ---- "लोग  मुझे  पागल  समझते  हैं  कि  मैं  अपने  जीवन  को   उनके  सोने - चांदी  के  टुकड़ों  के  बदले  नहीं  बेचता   l  और  मैं  इन्हें  पागल  समझता  हूँ   कि  वे  मेरे  जीवन  को  बिक्री  की  एक  वस्तु  समझते  हैं   l  "
 उनके  भाषणों  और  पुस्तकों  ने  दलित वर्ग  में  ऐसी  चेतना  भरी  कि  वह  अपने  हनन  किये  अधिकारों  को  पुनः  प्राप्त  करने  के  लिए  सक्रिय  हो  उठा  l  खलील  जिब्रान  की  पुस्तकें  आज  भी  समस्त  विश्व  के  लिए  प्रेरणा  दीप  बनी  हुई  हैं   l    

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