पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' वास्तविकता बहुत देर तक छिपाए नहीं रखी जा सकती l व्यक्तित्व में इतने अधिक छिद्र होते हैं कि उनमे से हो कर गंध दूसरों तक पहुँच ही जाती है l इसलिए कमजोरियों पर , गंदगी पर आवरण न डालकर उसके निष्कासन के , स्वच्छता के प्रयासों में निरत रहना चाहिए l '
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