' विचार कभी नष्ट नहीं होते , लोग उन्हें मिटाने का कितना ही प्रयत्न करें वे जीवित रहते हैं l महात्मा गाँधी ने जो सिद्धांत दिए वे केवल बोलकर , भाषण देकर नहीं दिए , उन्होंने अपने आचरण से संसार के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया l गांधीजी की कथनी और करनी एक थी l
आज जब सारा संसार इस वैश्विक महामारी की चपेट में है तो गांधीजी के विचारों पर अमल करने की जरुरत है l उन्होंने कहा था ---- किसी भी जीव को मत सताओ , हिंसा न करो , मांसाहार से दूर रहो l संयमित जीवन जिओ l अपनी आवश्यकताएं सीमित रखो , सादगी से रहो , अनावश्यक संग्रह न करो l मौन और ब्रह्मचर्य से अपनी प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाओ , अपनी ऊर्जा संचित रखो l गांधीजी जब विदेश में भी रहे कभी मांसाहार नहीं किया l एक बार भयंकर फ्लू फैला था तब गांधीजी भी उससे संक्रमित हो गए थे तब उन्होंने मौन , एकांतवास , तरल पदार्थों का सेवन और नियम संयम का पालन कर के उस बीमारी को दूर भगाया था l
हम अपनी सोच सकारात्मक रखें और इसे ईश्वरीय व्यवस्था ही माने कि ये ' कोरोना ' नवरात्रि में आया l इन दिनों में लोग स्वेच्छा से नियम - संयम का पालन करते हैं , जो कोरोना को हराने का मुख्य अस्त्र है l लोग रामायण पाठ , मन्त्र जप , भजन - पूजन आदि विभिन्न तरीके से ईश्वर का स्मरण करते हैं l इन सबके लिए हमारे पास पर्याप्त समय भी है l इस संसार में शुरू से ही असुरता और देवत्व में युद्ध चलता है और अंत में असुरता को पराजित होना ही पड़ता है l हम अपने भीतर के देवत्व को विकसित करें अपनी दुष्प्रवृतियों को नियंत्रित कर सन्मार्ग पर चलें , कोरोना का असुर पराजित होकर ही रहेगा l
आज जब सारा संसार इस वैश्विक महामारी की चपेट में है तो गांधीजी के विचारों पर अमल करने की जरुरत है l उन्होंने कहा था ---- किसी भी जीव को मत सताओ , हिंसा न करो , मांसाहार से दूर रहो l संयमित जीवन जिओ l अपनी आवश्यकताएं सीमित रखो , सादगी से रहो , अनावश्यक संग्रह न करो l मौन और ब्रह्मचर्य से अपनी प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाओ , अपनी ऊर्जा संचित रखो l गांधीजी जब विदेश में भी रहे कभी मांसाहार नहीं किया l एक बार भयंकर फ्लू फैला था तब गांधीजी भी उससे संक्रमित हो गए थे तब उन्होंने मौन , एकांतवास , तरल पदार्थों का सेवन और नियम संयम का पालन कर के उस बीमारी को दूर भगाया था l
हम अपनी सोच सकारात्मक रखें और इसे ईश्वरीय व्यवस्था ही माने कि ये ' कोरोना ' नवरात्रि में आया l इन दिनों में लोग स्वेच्छा से नियम - संयम का पालन करते हैं , जो कोरोना को हराने का मुख्य अस्त्र है l लोग रामायण पाठ , मन्त्र जप , भजन - पूजन आदि विभिन्न तरीके से ईश्वर का स्मरण करते हैं l इन सबके लिए हमारे पास पर्याप्त समय भी है l इस संसार में शुरू से ही असुरता और देवत्व में युद्ध चलता है और अंत में असुरता को पराजित होना ही पड़ता है l हम अपने भीतर के देवत्व को विकसित करें अपनी दुष्प्रवृतियों को नियंत्रित कर सन्मार्ग पर चलें , कोरोना का असुर पराजित होकर ही रहेगा l
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