आज विश्व में अधिकांश देशों के लोग इस महामारी के कारण एकांतवास में है l यह एकांत का समय हम किसी को दोष देने में न गंवाएं बल्कि चाहे कोई सामान्य व्यक्ति हो , धन - संपन्न , उच्च पदवीधारी हो या बड़ी सरकारें हो , यह आत्मविश्लेषण का वक्त है , आखिर कौन सी गलतियां हैं जिनकी वजह से प्रकृति हमसे नाराज हो गई ?
चाहे जो भी गलतियां हों उनके पीछे कुछ लोगों का अहंकार व स्वार्थ है और गलती भी श्रंखलाबद्ध होती है जिससे पूरा पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है जैसे ----- मनुष्य जो भी व्यवसाय करता है , वह लाभ की आशा से करता है , और लाभ कब होगा ? जब मॉल बिकेगा , बाजार में उस माल की मांग अधिक होगी l अब यदि हृदय में संवेदना का स्रोत सूख गया है तो व्यवसायी वह हर संभव कार्य करेगा जिससे उसका माल बिक जाये l युद्ध के लिए बड़े - बड़े मारक हथियार , बम , टैंक आदि , दंगे - फसाद आदि के लिए हर तरह के मारक अस्त्र आदि l इनकी मांग जितनी अधिक होगी उतना ही लाभ होगा और इस व्यवसाय में लाभ का अर्थ है --- सम्पूर्ण संसार को हानि , तनाव , कभी न मिटने वाले दुःख !
कहते हैं विनाशकारी बम आदि बनाने के लिए धरती को बहुत गहरे खोद कर आवश्यक खनिज निकाले जाते हैं l हमारे धर्मशास्त्रों में धरती को माँ कहा गया है , माँ हम सबका पालन करती है इसलिए जो बहुत हानिकारक पदार्थ हैं उनको माँ ने अपने गर्भ में , बहुत गहराई में छुपा कर रखा ताकि धरती पर रहने वाली उसकी सन्तानो को कोई नुकसान न पहुंचे लेकिन मनुष्य ने भूल की l
एक तो धरती माँ को कष्ट दिया दूसरे अपने अहंकार की पूर्ति के लिए संसार में बेवजह के युद्ध , हमले , दंगे आदि होते हैं l निर्दोष लोग मारे जाते हैं l उनकी आहों से पूरे वायुमंडल में नकारात्मकता भर गई है l एक तो मनुष्य पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है और फिर हाथ में हथियार हों ?--- अभी भी वक्त है l गीता में कहा गया है भगवन बड़े से बड़े पापी का भी उद्धार कर देते हैं , हम उनकी शरण में जाये , प्रेम और भाईचारे से रहने का संकल्प लें , विश्व - प्रेम , विश्व - बंधुत्व का भाव हो l मृत्यु को सामने देख कर भी अब हम न सुधरें तो कब सुधरेंगे ? ?
चाहे जो भी गलतियां हों उनके पीछे कुछ लोगों का अहंकार व स्वार्थ है और गलती भी श्रंखलाबद्ध होती है जिससे पूरा पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है जैसे ----- मनुष्य जो भी व्यवसाय करता है , वह लाभ की आशा से करता है , और लाभ कब होगा ? जब मॉल बिकेगा , बाजार में उस माल की मांग अधिक होगी l अब यदि हृदय में संवेदना का स्रोत सूख गया है तो व्यवसायी वह हर संभव कार्य करेगा जिससे उसका माल बिक जाये l युद्ध के लिए बड़े - बड़े मारक हथियार , बम , टैंक आदि , दंगे - फसाद आदि के लिए हर तरह के मारक अस्त्र आदि l इनकी मांग जितनी अधिक होगी उतना ही लाभ होगा और इस व्यवसाय में लाभ का अर्थ है --- सम्पूर्ण संसार को हानि , तनाव , कभी न मिटने वाले दुःख !
कहते हैं विनाशकारी बम आदि बनाने के लिए धरती को बहुत गहरे खोद कर आवश्यक खनिज निकाले जाते हैं l हमारे धर्मशास्त्रों में धरती को माँ कहा गया है , माँ हम सबका पालन करती है इसलिए जो बहुत हानिकारक पदार्थ हैं उनको माँ ने अपने गर्भ में , बहुत गहराई में छुपा कर रखा ताकि धरती पर रहने वाली उसकी सन्तानो को कोई नुकसान न पहुंचे लेकिन मनुष्य ने भूल की l
एक तो धरती माँ को कष्ट दिया दूसरे अपने अहंकार की पूर्ति के लिए संसार में बेवजह के युद्ध , हमले , दंगे आदि होते हैं l निर्दोष लोग मारे जाते हैं l उनकी आहों से पूरे वायुमंडल में नकारात्मकता भर गई है l एक तो मनुष्य पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है और फिर हाथ में हथियार हों ?--- अभी भी वक्त है l गीता में कहा गया है भगवन बड़े से बड़े पापी का भी उद्धार कर देते हैं , हम उनकी शरण में जाये , प्रेम और भाईचारे से रहने का संकल्प लें , विश्व - प्रेम , विश्व - बंधुत्व का भाव हो l मृत्यु को सामने देख कर भी अब हम न सुधरें तो कब सुधरेंगे ? ?
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