समय परिवर्तनशील है , जब व्यक्ति वक्त के साथ स्वयं को नहीं बदलता है तब प्रकृति उसे बदलने को विवश कर देती है l देश में कितने ही धर्म सुधारक व समाज सुधारक हुए जिन्होंने लोगों को समझाया कि बाह्य आडम्बर और कर्मकांड तभी सार्थक हैं जब आपकी भावनाएं पवित्र हों , आचरण नैतिक और मर्यादित हो l लोगों ने धर्म को व्यवसाय बना दिया और अपने - अपने धर्म को श्रेष्ठ बताने की होड़ में नदियों , तालाबों तक को प्रदूषित कर दिया l आज प्रकृति ने मनुष्य को यह सन्देश दिया है कि --- अपने व्यक्तित्व का परिष्कार करो , अपनी बुरी आदतों को छोड़ो l प्रकृति के अनुकूल जीवन जियो l जब मन स्वस्थ होगा तभी शरीर भी स्वस्थ रहेगा l
भगवान श्रीकृष्ण की बाल - लीलाओं का वर्णन हम कथाओं में सुनते हैं , उसमे अनेक कथाएं हैं जो महत्वपूर्ण बात है , वह है --- भगवान श्रीकृष्ण नन्द बाबा के यहाँ मिटटी में खेल कूद कर बड़े हुए l दूध , मक्खन , मिश्री खाकर , प्रकृति की छाँव में रहकर , शुद्ध हवा में सांस लेकर उनके भीतर वह प्रतिरोधक शक्ति थी जिससे वे बड़े व शक्तिशाली राक्षसों को पराजित कर सके l
आज भौतिक प्रगति और आधुनिकता के नाम पर लोग विभिन्न सुख - सुविधाओं और शरीर को आराम देने वाले उपकरणों के सहारे रहते हैं l आरामतलबी के जीवन से शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और इन आधुनिक उपकरण जैसे ए. सी , , माइक्रोवेव , फ्रिज , जनरेटर आदि से निकलने वाली हानिकारक तरंगे वातावरण को प्रदूषित करती है और शरीर को बीमारियों का घर बना देती हैं l
आज के समय में यदि मनुष्य को स्वस्थ रहना है तो उसे अपनी जीवन शैली को बदलना होगा l हम विदेशों की नक़ल न करें l हमारे भीतर सहअस्तित्व का व जियो और जीने दो का भाव हो तो इस धरती में और इस संस्कृति वह सब कुछ है जिससे हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों पर विजय पा सकते हैं l
भगवान श्रीकृष्ण की बाल - लीलाओं का वर्णन हम कथाओं में सुनते हैं , उसमे अनेक कथाएं हैं जो महत्वपूर्ण बात है , वह है --- भगवान श्रीकृष्ण नन्द बाबा के यहाँ मिटटी में खेल कूद कर बड़े हुए l दूध , मक्खन , मिश्री खाकर , प्रकृति की छाँव में रहकर , शुद्ध हवा में सांस लेकर उनके भीतर वह प्रतिरोधक शक्ति थी जिससे वे बड़े व शक्तिशाली राक्षसों को पराजित कर सके l
आज भौतिक प्रगति और आधुनिकता के नाम पर लोग विभिन्न सुख - सुविधाओं और शरीर को आराम देने वाले उपकरणों के सहारे रहते हैं l आरामतलबी के जीवन से शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और इन आधुनिक उपकरण जैसे ए. सी , , माइक्रोवेव , फ्रिज , जनरेटर आदि से निकलने वाली हानिकारक तरंगे वातावरण को प्रदूषित करती है और शरीर को बीमारियों का घर बना देती हैं l
आज के समय में यदि मनुष्य को स्वस्थ रहना है तो उसे अपनी जीवन शैली को बदलना होगा l हम विदेशों की नक़ल न करें l हमारे भीतर सहअस्तित्व का व जियो और जीने दो का भाव हो तो इस धरती में और इस संस्कृति वह सब कुछ है जिससे हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों पर विजय पा सकते हैं l
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