अनाचारी को सदाचार की नीति , अनीति जैसी ही लगती है l वह इसलिए कि आसन्न विनाश के कारण उसकी बुद्धि विपरीत हो जाती है l विपरीत बुद्धि होने पर व्यक्ति कैसा व्यवहार करता है , इसे बताने वाली एक घटना है ---- आदिलशाह को छत्रपति शिवाजी का अभ्युदय काँटे की तरह चुभता था , वह किसी भी कीमत पर उन्हें बन्दी बनाना और मरवा डालना चाहता था l इस कार्य के लिए उसने बहुत बड़ी पदवी और बड़े पुरस्कार की घोषणा की l शिवाजी की वीरता व बुद्धिमत्ता से सब परिचित थे , इसलिए कोई भी सरदार इस कार्य के लिए साहस न कर सका l
लोभ मनुष्य के विनाश का कारण होता है , अफजल खान नामक सरदार की बुद्धि भ्रष्ट हो गई और वह लालच में आकर शिवाजी को पकड़ने के लिए तैयार हो गया l
इस कार्य हेतु यात्रा पर चलते समय वीर शिवाजी के तेज की कल्पना कर के उसका हृदय दहल गया और उसे अपने मरने की शंका होने लगी l उसने सोचा कि यदि मैं मारा गया तो इन बेगमों का क्या होगा ? ' विनाश काले विपरीत बुद्धि ' l अफजल ने अपनी 163 बेगमों``` को चलते समय अपनी तलवार से क़त्ल कर डाला ---- ऐसा व्यभिचारी और इतनी निरीह नारियों का वध करने वाला एक पापी पुरुष धर्मनिष्ठ सूरमा को मारने चला l शिवाजी को धोखे से मारना चाहता था लेकिन शिवजी की सतर्कता से अफजल स्वयं मारा गया
लोभ मनुष्य के विनाश का कारण होता है , अफजल खान नामक सरदार की बुद्धि भ्रष्ट हो गई और वह लालच में आकर शिवाजी को पकड़ने के लिए तैयार हो गया l
इस कार्य हेतु यात्रा पर चलते समय वीर शिवाजी के तेज की कल्पना कर के उसका हृदय दहल गया और उसे अपने मरने की शंका होने लगी l उसने सोचा कि यदि मैं मारा गया तो इन बेगमों का क्या होगा ? ' विनाश काले विपरीत बुद्धि ' l अफजल ने अपनी 163 बेगमों``` को चलते समय अपनी तलवार से क़त्ल कर डाला ---- ऐसा व्यभिचारी और इतनी निरीह नारियों का वध करने वाला एक पापी पुरुष धर्मनिष्ठ सूरमा को मारने चला l शिवाजी को धोखे से मारना चाहता था लेकिन शिवजी की सतर्कता से अफजल स्वयं मारा गया
No comments:
Post a Comment