सद्बुद्धि की जरुरत तो हर युग में है लेकिन जब संसार में धन को प्राथमिकता दी जाती है , धन - सम्पन्नता से व्यक्ति का आंकलन होता है तो ऐसे में सद्बुद्धि जरुरी हो जाती है l जब एक से बढ़कर एक धन - वैभव और शक्ति संपन्न लोग और अधिक अमीर बनने की दौड़ में है तो साधारण मनुष्य की क्या कहे l येन केन प्रकारेण धन कमाना और वैभव - विलास का जीवन जीना और धन के बल पर लोगों को अपने आधीन बनाने की लालसा के कारण ही संसार में छल - छद्म , धोखा , बेईमानी , भ्रष्टाचार का बोलबाला है l अब व्यक्ति का विश्वास नहीं रहा , पैसा कमाने के लिए कब , कौन आपको कहाँ फँसा दे कोई नहीं जनता l लेकिन यदि हमारा विवेक जाग्रत है , हमारे पास सद्बुद्धि है तो हम किसी मुसीबत में फंसने से बच जाते हैं l
हमारे ऋषियों का , आचार्य का कहना है कि गायत्री मन्त्र के जप से और नि:स्वार्थ भाव से सेवा कार्य करने से मनुष्य का मन निर्मल होता है और उसका विवेक जाग्रत होता है , वह अपने जीवन में सही निर्णय ले पाता है l
हमारे ऋषियों का , आचार्य का कहना है कि गायत्री मन्त्र के जप से और नि:स्वार्थ भाव से सेवा कार्य करने से मनुष्य का मन निर्मल होता है और उसका विवेक जाग्रत होता है , वह अपने जीवन में सही निर्णय ले पाता है l
No comments:
Post a Comment