एक बार रेगिस्तान में मुसाफिरों का एक काफिला सफर कर रहा था l रास्ते में लुटेरों के एक दल से काफिले की मुठभेड़ हुई l सरदार के हुक्म से हर एक यात्री की तलाशी ली गई , जो मिला उसे छीन लिया गया l एक लड़के की तलाशी में फटे - पुराने कपड़ों के सिवाय कुछ न मिला , तो सरदार ने पूछा ---- क्या तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है l लड़के ने कहा ---- " मेरे पास चालीस अशर्फियाँ हैं , जो माँ ने कपड़ों में सिल दी थीं l ये मैं अपनी बहन के लिए ले जा रहा हूँ l " सरदार ने कहा --- ' जब ये तुम्हे छिपानी न थीं तो फटे कपड़े में सिलवाने की क्या जरुरत थी ? ' लड़के ने कहा ---- माँ ने इस वास्ते सी दीं की कहीं कोई छीन न ले और नसीहत भी दी कि बेटा , कभी झूठ न बोलना l मैंने अपनी माँ का आज्ञापालन किया l ' लड़के की इस सच्चाई से लुटेरों का सरदार खुश हुआ और मुसाफिरों का लूटा माल वापस कर दिया l सभी लुटेरों को बदल कर सच्चा रास्ता बताने वाला और कोई नहीं अपितु खलीफा अमीन था l
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