27 December 2020

WISDOM -----

     पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना   है ---- ' प्रौढ़ता  का  संबंध   आयु  से  नहीं  विवेक  से    है  l    बड़प्पन  होना  चाहिए   l   '     एक  कहानी  है  -----  एक  बार  नदी  के  किनारे  की  रेत   पर  कुछ  बच्चे  खेल  रहे  थे  l   उन्होंने  उस  रेत   पर  ही   रेत   के  मकान  बनाए   थे  ,  और  उन  बच्चों  में  से  हर  एक   यह  कह  रहा  था  ,  यह  वाला  घर  मेरा  है  ,  कोई  कह  रहा  था  वह  वाला  मेरा  है   और  वही  सबसे  अच्छा  है  ,  उसके  जैसा  दूसरा  कोई   भी    नहीं    है   l   इसे  कोई  नहीं  पा  सकता  l   ऐसे  ही  कई  तरह  की  बातें  करते  हुए  वे  बच्चे  खेलते  रहे   l   जब  उनमें  से  किसी  ने   किसी  का   घर  तोड़  दिया   तो  उनमे  लड़ाई - झगड़ा  भी  खूब  हुआ  l  लेकिन  तभी  सांझ  का  अँधेरा  घिरने  लगा  l   अब  तो  बच्चों  को   अपने  घर  की  याद  सताने  लगी   l   अपने  घर  की  याद   आते  ही  उन्हें   झूठे  घरों  से  तनिक  भी  मोह   न  रहा   l   पूरे   दिन   जिन  घरों  के  लिए   उन्होंने   न जाने   कितने  इंतजाम  किए   थे   , सरंजाम  जुटाए  थे   ,  वे  सभी   जैसे  के  तैसे  पड़े   रह गए  l   इन  सारे  रेत   के  घरों  में    उनमें  से   किसी  का  कोई   मेरा - तेरा  न  रहा   l         वहीँ  पास  में  कुछ  दूर   खड़े   एक  साधु  बच्चों  का   यह  सारा  घटना  प्रसंग  देख  रहे  थे    l   वह  सोचने  लगे   कि    संसार  के  प्रौढ़  लोग  भी  क्या   बच्चों  की  तरह   रेत   के  घर  - भवन - महल   नहीं  बनाते  रहते   !  इन  बच्चों  को   तो  फिर  भी   सूरज  डूबने  के  साथ   अपने  घर   की याद  आ  गई  ,  परन्तु  जिन्हें  प्रौढ़   कहा  जाता  है   ,  उनका  तो  जिंदगी  की  सांझ  ढलने  पर  भी  विवेक  जाग्रत  नहीं  होता   और  ज्यादातर  लोग   अपने  अहंकार   और  अपने    स्वार्थ  के  साथ     मेरा- तेरा   कहते  हुए    संसार   छोड़  देते  हैं   l   इसलिए  कहते  हैं  कि   प्रौढ़ता  का  संबंध  आयु   से  नहीं ,  विवेक  से  है   l 

No comments:

Post a Comment