10 December 2020

WISDOM ----- अध्यात्म मानवीय जीवन की सर्वोच्च संपदा है

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते   हैं ---- ' आध्यात्मिक  चिंतन  के  स्वामी   समस्त  संपदाओं   के  अधिकारी  बनते  हैं   l  '  स्वामी  विवेकानंद  के  आध्यात्मिक  दृष्टिकोण  ने  संसार  में  तहलका  मचा  दिया  ,  हिन्दू  संस्कृति  के  बारे   में  सारी   दुनिया  को  पुनर्विचार  करना  पड़ा   l   यह  स्वामी  विवेकानंद  की  महानता  थी  कि   जब  कलकत्ता  की  सड़कों  पर  उनका  जुलूस   निकल  रहा  था  ,  तो   हाई कोर्ट  के  जज   और  दूसरे  वकीलों  ने  कहा   कि   घोड़ों  को  रथ  से  खोल  दीजिए , बग्घी  को  हम  खींचकर  ले  चलेंगे    l   स्वामी  विवेकानंद  के   पास  आध्यात्मिक  शक्ति  थी  उसी  का  एक  उदाहरण  है --------  जमशेद जी  टाटा  लोहे  की   फैक्टरी   लगाने  की  इजाजत  मांगने  के   लिए इंग्लैंड   गए  हुए  थे  l  उनको  इजाजत  नहीं  मिल  रही  थी  l   क्वीन  एलिजाबेथ  से  अनुमति  मिल  गई  कि   आप  चाहे  तो  लोहे  की  फैक्टरी   लगा  सकते  हैं  l   अब  वे  इस   तलाश  में  थे  कि   ऐसा  स्थान  मिले  जहाँ  लोहा , कोयला  और  पानी  तीनो  एक  स्थान  पर  मिले   तभी  बड़ी    फैक्टरी   लग   सकती है   l   इस  चिंता  में  जमशेद जी  एक  दिन  स्वामी  विवेकानंद  के  पास  पहुंचे   और  उनसे  अपने  मन  की  बात  कही  l   उन्होंने  कहा  --- लोहे  पर  विदेशी  आधिपत्य  है   l   हमारा  देश  आगे  बढे ,  खुशहाल  हो   इसके  लिए  हमें  देश  में  ही  फैक्ट्री  लगानी   चाहिए  l   उन्होंने  कहा ---- ' हमने   सुना है  योगी  सब  कुछ  जानते  हैं  l   जरुरत  होने  पर  ज्ञान  की  बात  बता  सकते  हैं  ,  तो  आप  कृपा  कर  के  हम  को  यह  बता  दीजिए   कि   हिंदुस्तान  में  ऐसी  जगह  कहाँ  है   ? '     स्वामी  विवेकानंद  ध्यान सिद्ध  योगी   थे  ,  फिर  यदि    मन  में  देश  की  खुशहाली  की  , लोक कल्याण  की  भावना  हो  तो  दैवी  कृपा  मिलती  है   l   उन्होंने  बताया  कि   वह  जगह  है  ---  बिहार  के  सिंहभूमि   जिले  का   छोटा  सा  गाँव  l   उन  दिनों  वह  वीरान  जंगल  था   और  पचासों  मील   की  पथरीली  और  झाड़ियों  वाली  जगह  में  फैला   हुआ था  l   वहां  कोई  आदमी   नहीं रहता  था  l  विवेकानंद जी  ने  कहा  कि   आप  उस  इलाके  को  ले  लें   l  वहां  पर  तीनो  चीजें  मिल  जाएँगी  l  "  जमशेद जी  वहां  पर  गए  ,  जमीन   को  ढूंढा   फिर   उसे   खरीद  लिया    और वहां  पर  फैक्ट्री   लगाईं  l   अभी  भी  वहां  वे  तीनों  चीजें  उपलब्ध  हैं   l   जमशेद जी  ने  स्वामी  विवेकानंद  से  यह  कह   दिया  था    कि   आप  जो  भी  काम  करना  चाहते  हो  उसे  खुले  हाथ  से  करें  l  उन्होंने  अपने  गुरु  के  नाम  पर  बेलूर  मठ   संगमरमर  का  बनवाया  l   इसके  अतिरिक्त  भारत  ही  नहीं  विदेशों  में  भी  अनेक   रामकृष्ण  संस्थान   बनवाये  l   यह  सब  उनके  अध्यात्म   की शक्ति  से  संभव  हुआ   l 

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