18 January 2021

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- " सामान्यतया  आदमी  निष्ठुर  जोंक  की  तरह   दूसरों  का  खून  चूस - चूस  कर   साधन  सम्पति  बटोरते   और  क्रुद्ध  नाग  की  तरह   उनकी  रक्षा  करने  में   जिंदगी  खपा  देता   है  l  -----  एक  जमींदार  ने  विधवा  बुढ़िया  का  खेत  बलपूर्वक  छीन  लिया  l  बुढ़िया  ने  गाँव  के  सभी  लोगों  के  पास   इस  अत्याचार  से  बचाने   की  पुकार  की  ,  पर  जमींदार  का  ऐसा  ' दबदबा '  था    कि   हर  कोई  स्वयं  को  बचाने   में  तत्पर  था  ,  जमींदार   के  सामने  मुंह  खोलने  की  हिम्मत  ही  किसी  में  नहीं  थी  l    दुःखी   बुढ़िया  ने  स्वयं  ही  साहस  बटोरा   और  जमींदार  के  पास  यह  कहने  पहुंची   कि   खेत  नहीं  लौटाते   तो  उसमें  से   एक  टोकरी  मिट्टी   खोद  लेने  दे ,  ताकि  कुछ  तो  मिलने  का  संतोष  हो  जाए  l   जमींदार   राजी  हो  गया    और  बुढ़िया  को  साथ  लेकर  खेत  पहुंचा   l   बुढ़िया  रोती   जाए   और  मिट्टी   से  टोकरी   भरती    जाए   l   टोकरी  पूरी  भर  गई  तो  बहुत  भारी  हो  गई  , तो  बुढ़िया  ने  कहा --- ' इसे  उठवाकर  मेरे  सिर   पर  रखवा  दे  l '  जमींदार   ने  अकड़  कर   कहा ---- " बुढ़िया  !  इतनी  सारी   मिट्टी   सिर   पर  रखेगी  तो  दबकर  मर  जाएगी  l  "   बुढ़िया  ने  पलटकर  पूछा  ---- ' यदि  इतनी  सी  मिट्टी   से  मैं  दबकर  मर  जाऊँगी   तो  तू  पूरे   खेत  की  मिट्टी   लेकर  जीवित  कैसे  रहेगा   ? "  जमींदार  से  उत्तर  देते  न  बना  ,  अहंकार  और  लालच   ने   उसके  हृदय  की  संवेदना  को  सुखा   दिया  था   l 

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