विश्व प्रसिद्ध संत खलील जिब्रान धनाढ्य और प्रतिभा संपन्न थे l उन्होंने गरीब और असभ्य लोगों तथा समाज के पीड़ित शोषित वर्ग में चेतना जाग्रत की , सामाजिक क्रांति का बिगुल बजाया इसके फलस्वरूप उन्हें जागीरदारों और शासक वर्ग का कोपभाजन बनना पड़ा l इन स्वार्थपरायण लोगों ने उन्हें स्वदेश से निष्कासित करा दिया , उस वक्त उन्होंने कहा था ---- ' लोग मुझे पागल समझते हैं कि मैं अपने जीवन को उनके सोने - चांदी के कुछ टुकड़ों के बदले नहीं बेचता l और मैं इन्हे पागल समझता हूँ कि वे , मेरे जीवन को बिक्री की एक वस्तु समझते हैं l ' उन्होंने धार्मिक कर्मकांड , आडंबर आदि का विरोध किया l वे कहते थे जो धार्मिक सिद्धांत , कर्मकांड , आचार - व्यवहार मनुष्यता से परे है , जिसने मानवता को विकसित होने के द्वार बंद कर दिए , वह धर्म नहीं पाखंड है l
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