10 April 2021

WISDOM --------

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' दीन  - दुर्बल  वे  नहीं  जो   गरीब  अथवा  कमजोर  हैं   वरन  वे  हैं  जो  कौड़ियों  के  मोल   अपने  अनमोल  ईमान  को   बेचते  हैं  ,  प्रलोभनों  में  फँसकर   अपने  व्यक्तित्व  का  वजन  गिराते   हैं  l  तात्कालिक  लाभ  देखने  वाले  व्यक्ति   उस  अदूरदर्शी  मक्खी   की  तरह  हैं  ,  जो  चासनी  के  लोभ  को  संवरण  न  कर  पाने  के  कारण   उसके  भीतर  जा  गिरती  है    तथा  बेमौत  मरती   है   l   मृत्यु  शरीर  की  ही  नहीं  व्यक्तित्व  की  भी  होती  है   l   गिरावट  भी  मृत्यु  है   l '   लोभ , लालच ,  तृष्णा   आदि     दुर्गुणों  से  ग्रस्त  व्यक्ति   कितना  ही  धन , वैभव  और  शक्ति संपन्न   हो  , वह  मन  का  दरिद्र  होता  है  और   अपनी  असीमित  इच्छाओं  को  पूरा  करने  के  लिए   वह    अपना  स्वाभिमान ,  आत्मविश्वास  ,  अपना  चरित्र  सब  कुछ  खो   देता  है  l 

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