5 June 2021

WISDOM ------

 एक  ऐतिहासिक  प्रसंग  है  ----   गजनी  की  सेना  ने  धोधागढ़   में  प्रवेश  किया  l  वहां  के  महाप्रतापी  राणा  को   पराजित  करना  बहुत  कठिन  था   इसलिए  गजनी  के  सुल्तान  ने  छल  से  पीछे  से  वार  कर  के   उनका  वध  कर  दिया   और  सैनिकों  समेत  गढ़  में  प्रवेश  किया   l   चौक  पर  पहुँचते  ही   उसकी  नजर  पत्थर  की  एक  प्रतिमा  पर  पड़ी  ,  उसे  देखकर  वह  स्तब्ध  रह   गया  l   वह  प्रस्तर   निर्मित    मानव   मानो     पराक्रम  का  प्रतिक  था   l   सुल्तान  ने  ऊँचे  स्वर  में  पूछा  ---- किसकी  प्रतिमा  है  ये   ? '  किसी  ने  डरते  - डरते  कहा  ---- ' सुल्तान  ने  अभी - अभी  जिन्हे  स्वर्गलोक  पहुंचा  दिया  , उनकी  मूर्ति  है   यह  l  '  सुल्तान  ने  आदेश  दिया  --- इसके  शिल्पी  को  बुलाओ  l   शिल्पी  उपस्थित  हुआ  ,  सुल्तान  ने  पूछा  ---- "  यह  मूर्ति  किसकी  है  ? '  शिल्पी  ने  निर्भीकता  से  कहा ---- ' महाप्रतापी  धोधाराणा   की  l '  सुल्तान  ने  चिढ़कर  कहा  --- ' जब  वह  है  नहीं   तो  पराक्रमी  कहना    दुनिया  को  धोखा  देना  नहीं  है   ?  '  शिल्पी  ने  निर्भयता  से  कहा  ---- 'यदि  मैं   आज  आपकी  प्रतिमा  बनाऊं  तो   कल  उसके  संबंध  में  भी   यही  होगा   l    मृत्यु   से  कौन  बच  सका  है  सुल्तान  ?  अंतर्  सिर्फ  इतना  है   कि   एक  सत्कर्म  कर  के   युगांतर  व्यापी  कीर्ति  अर्जित  करता  है    और  दूसरा   नृशंसता  और   बर्बरता    पूर्वक    हँसते  - खिलखिलाते   जीवन  पुष्पों  को   कुचल - मसलकर   अपने  लिए   आहें , चीत्कारें  बटोरता  है   l  '  सुल्तान  ने  क्रोध  से  चिल्लाकर  कहा  --- किसी  और  ने  कहा  होता   तो   उसका   सिर    कटवा  देता  l   पर  तुम्हारा   दंड     यह  है  कि   अभी   जनता  के  सामने  इस  मूर्ति  को  तोड़कर  चूर -चूर  कर  दो   l  '  शिल्पी  ने  ऐसा  करने  से  स्पष्ट  मना  कर  दिया   l   जब  सुल्तान  ने  इसका  कारण  पूछा   तो  शिल्पी  ने  कहा  ---   '  मेरा  काम  सौंदर्य  का  निर्माण  करना  है  , उसका  विध्वंस  नहीं   l   उस  कार्य  के  लिए  तो  ईश्वर  ने  आप  जैसे  सुल्तान   पैदा  किए   हैं   l  '    जन - समूह  थर -थर    कांपने  लगा   कि   सुल्तान  का  अपमान  करने  वाले  की  अब  खैर  नहीं  है   "            सुल्तान  का  सिर   झुक  गया   l   उसने  कहा ----  कलाकार   !  मैंने  तुम्हारे  राणा  को  परास्त  कर  दिया  ,  परन्तु  आज  तुमने  मेरी  आँखें  खोल  दीं  शस्त्र   की  जीत  अंतिम  जीत  नहीं  होती  ,  सत्य  की  ही  विजय  होती  है    l    हमें    सत्कर्म   कर  के    लोगों  के  हृदय   को  जीतना  चाहिए   l  "

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