27 July 2021

WISDOM -------

   एक  क्रांतिकारी   को  स्वतंत्रता  संग्राम  के  दिनों  में  फाँसी   की  सजा  दे  दी  गई   l   उनकी  विधवा  पत्नी  के  अतिरिक्त   घर  में  एक  युवा  कन्या  और  थी   l   पैसे   की  कमी ,  संरक्षक  का  अभाव   एवं  विपन्नता   अवरोध  के  रूप  में  सामने  खड़े  थे   l   ऐसे  में  एक  शिक्षित  नवयुवक   आगे   आया    और  क्रांतिकारी   की  बेटी   से  विवाह  हेतु  हाथ  आगे  बढ़ा  दिया   l   अधिकारियों   ने  धमकी  दी   कि   अब  तुम्हारे  पीछे  भी  पुलिस  पड़ेगी   l   क्यों  झंझट  में  पड़ते  हो   ?    युवक  डर   गया  l   घटना  एक  संपादक  के  संज्ञान  में  आई   l   उनने  अधिकारियों   से  जाकर  चर्चा  की   ,  उन्हें  समझाया  ,  यदि  आप  किसी  के  आंसू  पोंछ  नहीं  सकते   तो   रुलाने  का   भी  अधिकार  नहीं  है   l   पुलिस  अधिकारी  शर्मिंदा  हुआ  ,  उसने  क्षमा  मांगी   l   बाद  में  उसने  और  संपादक  महोदय   ने  मिलकर    विवाह  संपन्न  कराया  ,  सारा  व्यय  का  भार  भी  स्वयं  उठाया   l  विवाह  में  कन्या  के   के  पिता  की  जिम्मेदारी  निभाने   वाले  संपादक   सज्जन  थे  --- श्री  गणेश  शंकर  विद्दार्थी  ,  जिन्हे  अमर  हुतात्मा  की  बाद  में    संज्ञा  मिली   l 

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