27 July 2021

WISDOM -----

   युगों - युगों  से  मनुष्य  का  स्वाभाव   अनेक  तरह  की  चिंताओं  से  ग्रस्त  रहा  है   l   चिंता  एक  ऐसा  रोग  है  ,  जो   कभी  भी    हमारे  विचारों  में  घुन  की  तरह  लग  जाता  है   l   एक  विचारक  का  कहना  है  ---' यदि  चलने  के  लिए   तैयार  खड़े  जहाज  में   सोचने - विचारने   की  शक्ति  होती   ,  तो  वह  सागर  की    उत्ताल    तरंगों   को  देखकर    डर    जाता     कि   ये  तरंगे  उसे  निगल  लेंगी   और  वह  कभी  बंदरगाह  से  बाहर  नहीं  निकलता   लेकिन  जलयान  सोच  नहीं  सकता  ,  इसलिए  उसे   कोई  चिंता  नहीं  होती   कि   जल  में  उतरने  के  बाद  उसका  क्या  होगा  ,  वह  तो  केवल  चलता  है   l  "   आचार्य  श्री  लिखते  हैं  ---- इसी  तरह  यदि  हम  संकटों  व  परेशानियों  के  बारे  में  सोचकर  घबराएंगे  तो   विकास  के  मार्ग  पर  हमारा  एक  कदम    भी  आगे  बढ़ना  दूभर  हो  जायेगा  l   इसलिए  यदि  मन   आशंकाओं  और   नकारात्मक  कल्पनाओं  से  भर  रहा  हो   तो  अकेले  में  बैठकर   उन्हें  सोचना  नहीं  चाहिए  ,  तुरंत  अपने  मन  को  किसी  कार्य  में  लगाना  चाहिए    '  व्यस्त  रहें , मस्त  रहें  l  '

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