27 August 2021

WISDOM ------

   कहते  हैं -- जो  ' महाभारत '   में  है   वही  इस  धरती  है   l  व्यक्ति  अपने  संस्कार  के  अनुरूप    ही  उससे  सीखता  है   l  महाभारत  का  प्रसंग  है  ---- दुर्योधन  के    गुरु  द्रोणाचार्य  से    ऐसा  कहने  पर  कि   कौरव  पक्ष  के   के  अनेक  वीर  युद्ध  में  मारे  गए  लेकिन  पांडव  पक्ष  का  ऐसा  कोई  नुकसान  नहीं  हुआ   ,  कहीं  ये  आपका  अर्जुन  के  प्रति  मोह  तो  नहीं   ?   तब  गुरु  द्रोणाचार्य  ने  चक्रव्यूह  की  रचना  की    , इस  चक्रव्यूह  में  भगवान  कृष्ण  की  बहन   सुभद्रा  और  अर्जुन  के  पुत्र  अभिमन्यु  को  सात  महारथियों  ने  मिलकर   मार  डाला   l   आसुरी  प्रवृति  के  लोग   इसी  तरह   कभी  जाति   के  आधार  पर  , कभी  धर्म  के  आधार  पर  ,  कभी  अपनी  विकृत  मानसिकता  के  कारण  ऐसे  ही  कलियुगी  चक्रव्यूह  रचते  हैं   l   विज्ञान   के  आविष्कारों  ने   और  संवेदनहीन  ज्ञान  ने  इन  चक्रव्यूह  का  घेरा  बहुत  बड़ा  कर  दिया  है   और  धनवानों  के  लालच  व  महत्वाकांक्षा  ने   इस  घेरे  को  मजबूत  कर  दिया  है   l     कलियुग  में  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है  l  पहले  घातक  हथियारों  का  निर्माण  होता  था   असुरता  के  अंत  के  लिए   लेकिन  अब   संसार  पर  अपना  वर्चस्व  कायम  करने  के  लिए ,  लोगों  का  दिल  जीतकर  नहीं  ,  उन्हें  डरा - धमका  कर  अपने  नियंत्रण  में  रखने  के  लिए   घातक  हथियार  बनते  हैं  ----- फिर  जब  बन   गए  तो  उनको   बेचना  भी  जरुरी  है  ----- अब  जब   तक  उनका  प्रयोग  नहीं  होगा  ,  तब  तक  और  ज्यादा  कैसे  बिकेंगे   ?  लाभ  कैसे  होगा   ?  यह  चक्रव्यूह   महाभारत  की  तरह  किसी  एक  दिन  का  युद्ध  नहीं  है   l   यह  तो  तब  तक  चलेगा   जब  तक  लोगों  के  हृदय  में  संवेदना  नहीं  जागेगी   l  जब  मनुष्य  में  विवेक  का  जागरण  होगा ,  सद्बुद्धि  आएगी  तभी  यह  चक्रव्यूह  टूटेगा     l    शक्ति  का  सदुपयोग  नहीं  होगा  तो  मानवता  को  नष्ट  होने  में  देर  नहीं   लगेगी  l 

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