पुरुष - प्रधान समाज में महिलाओं पर अत्याचार की गाथा कोई नई नहीं है l हर जाति और हर धर्म ने अपने तरीके से नारी को उत्पीड़ित किया है l इतिहास ऐसे उदाहरण से भरा पड़ा है l यह भी पुरुषों की मानसिकता ही है कि नारी को कमजोर , दुर्बल सिद्ध कर के उनके अहं को संतुष्टि मिलती है यही कारण है कि हमारे धर्म ग्रंथों का पाठ करने में भी नारी को दुर्बल बताया जाता है , उसके पीछे जो गूढ़ अर्थ है उसे छिपा देते हैं l जैसे रामायण का पाठ करने में असंख्य बार यही कहा कि रावण ने सीताजी का हरण किया , वहां वे राक्षसियों के बीच रहीं , फिर रावण के अंत के बाद अपनी पवित्रता सिद्ध करने के लिए उन्होंने अग्नि परीक्षा दी , फिर धोबी ने उन पर इल्जाम लगाया , गर्भावस्था में वन में ऋषि के आश्रम में रहीं , जीवन भर कष्ट सहा l इतना कष्ट कि उन्होंने धरती माँ से निवेदन किया कि वे उन्हें अपनी गोद में ले लें , और फिर सीताजी धरती में समां गईं l ऐसी व्याख्या से सामान्य जनता यही समझती है कि औरत का जन्म तो कष्ट सहने के लिए हुआ है , उसे अपनी भावना को व्यक्त करने का अधिकार नहीं है , कष्ट सहो और मिटटी में मिल जाओ l ऐसे विचार रखने वाले महिलाओं को उत्पीड़ित करते हैं l सच तो यह है कि माता सीता साक्षात् जगदम्बा की अवतार थीं , उनके पास अपने पतिव्रत - धर्म की शक्ति थी l वो ऐसे एक क्या हजार रावण को फूँक से उड़ा देतीं लेकिन उन्हें नारी जाति को शिक्षा देनी थी कि तुम सहमी , सिमटी न रहो अन्यथा ऐसे ही रावण तुम्हारे व्यक्तित्व को मिटा देंगे ( अपहरण ) , तुम्हे राक्षसियों के बीच रखकर छल , कपट से अपना स्वार्थ सिद्ध करेंगे , ओछे लोग जिनका अपना कोई चरित्र नहीं होगा ' वे तुम पर इल्जाम लगाएंगे l इसलिए तुम अपनी शक्ति को पहचानों , देवी दुर्गा की तरह शक्तिशाली बनों , अपनी महत्वाकांक्षा पर अंकुश रखो , सोने के मृग के पीछे न भागो l कोई भी धर्म किसी को भी उत्पीड़ित करने का समर्थन नहीं करता l अपने आचरण से शिक्षा दो l जिओ और जीने दो l
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